________________ That, for Bharat, was a moment of shame. He ordered the Chakra-ratna to slay Bahubali. But Bahubali had won the duel of the brothers. The chakraratna went round Bahubali thrice and came to a halt. Bahubali grew even more disillusioned. Greedy Bharat would not hesitate to kill his own brother for the sake of power, he felt, "We are children of such a great king but what example have we set for our subjects? Thoughts of treason? Who wants this kingdom which turns brother against brothers?" he mused and instantly, he set off for the forest. Remorse gripped Bharat too. "Who wants this empire if you depart for tapasya?" he cried. But Bahubali was firm and left the place to pursue renunciation. भरत के लिए तो यह घोर अपमान का क्षण था। उन्होंने तुरन्त चक्ररत्न को बाहुबली का संहार करने की आज्ञा दी, पर बाहुबली ने द्वन्द्व-युद्ध में विजय प्राप्त की थी, फिर वे चरम-देहधारी और एक ही पिता के पुत्र थे अतएव चक्ररत्न उनके सामने निःशक्त था। चक्ररत्न ने बाहुबली की तीन प्रदक्षिणाएं कीं और फिर स्थिर हो गया। भरत के इस आचरण को देखकर बाहुबली का मन और भी अरुचि से भर गया। उन्होंने सोचा, "सत्ता के लिए मनुष्य अपने भाई की भी हत्या करने में संकोच नहीं करेगा...." उन्होंने कहा - "हम एक महान राजा के पुत्र हैं पर हमने अपने प्रजाजनों के लिए क्या उदाहरण स्थापित किया है? - राजद्रोह के विचार ! ऐसा राज्य किसे चाहिए जो भाई को भाइयों का शत्र बना दे?" और ऐसा कह कर उन्होंने वन की ओर प्रस्थान किया। भरत का हृदय भी पश्चाताप से भर गया। रोते हुए ही उन्होंने कहा-"यदि तुम तपस्या के लिए चले जाओगे तो यह राज्य मुझे भी नहीं चाहिए.....।" पर बाहुबली अपने निर्णय पर स्थिर रहे और वन में तपस्या के लिए चले गए। भरत ने चक्ररल को बाहुबली के संहार की आज्ञा दी पर चक्ररत्न बाहुबली की प्रदक्षिणा करके, बिना उन्हें कोई क्षति पहुँचाए वापस लौट आया। Bharat attacked Bahubali with Chakra-Ratna but it returned back after going around Bahubali with reverence जो पाकर भी छोड़ दे उसे त्यागी कहते हैं और जो जीतकर भी स्वेच्छा से हार जाए उसे बैरागी कहते हैं। [14]