________________ लोगों के घर में रहे कुलदेवता के पगलियों को दादागुरुओं के पगलिए बता- . बता कर वहाँ पूरा खरतरगच्छ संघ खडा कर दिया / 9. बलसाणा तीर्थ तो पूर्णतः तपागच्छ के आचार्य श्री विद्यानंदसूरिजी की प्रेरणा से ही बना है, वहाँ पास में छोटी दादावाडी बनायी / मंदिर में से सीधे जा सके इस लिए दीवाल तोडकर दरवाजा दिया है। स्वाभाविक है कि भविष्य में खरतरगच्छ वालों के लिए मंदिर के उपर कब्जा जमाने का रस्ता खुल गया / आगे जा कर कहेंगे कि हमारी दादावाडी है तो मंदिर भी हमारा है। वैसे भी प्राचीन होने की वजह से मूर्ति पर तो कोई लेख आदि है नहीं। 10. अजमेर दादावाडी में खरतरगच्छ ने प्रश्न खडे कर रखे थे, उनके केस चल रहे थे, जो अभी अभी तपागच्छवालों ने जीते है। फिर भी खरतरगच्छ वाले तपागच्छ वालों को चैन से नहीं बैठने दे रहै हैं। 11. अजमेर दादावाडी का व्यवस्थापन वहाँ के जुना मंदिर ट्रस्ट का खरतरगच्छ, तपागच्छ का संयुक्त ट्रस्टमंडल 100 से ज्यादा बरसों से कर रहा है। उसी ट्रस्ट के तत्वावधान में रही विशाल दादावाडी में मणिप्रभसागरजी के उकसावे से खरतरगच्छ वालों ने बड़ी समस्याएं खडी की हुई है / केस चल रहा है / खरतरगच्छ वालों ने सरकारी दस्तावेजों में फर्जीवाडा भी किया था जो पकडा गया / नया बनाने के नाम पर मंदिर उतार दिया गया है और अब काम प्रारंभ करवाने में खरतरगच्छ वालों ने रोडे डाल कर काम अटका रखा है। 12. पूना तपागच्छीय दादावाडी में भी खरतरगच्छ वालों ने गुरुमूर्तियाँ बिठाई है। काफी घर्षण हुआ था। 13. नागोर हीरावाडी आदिनाथ मंदिर सर्व गच्छीय है / उस में खरतरों ने तपागच्छ वाले जब संवत्सरी प्रतिक्रमण कर रहे थे तब चोरी से दादागुरुओं के पगलियों की प्रतिष्ठा कर दी. जो बडे मन दुख के बाद आज भी मौजुद है / 40 वर्ष से उपर हुए होंगे। 14. जोधपुर भैरुबागमंदिर में मणिप्रभसागरजी ने दादागुरु की प्रतिष्ठा का बहोत प्रयत्न किया था। 15. हैद्राबाद आदिनाथ संघ मंदिर का कब्जा खरतरगच्छ वालों ने कुटिल तरीकों से कर लिया / घोर शासन हीलना करवाते थे, अतः तपागच्छ वालों को छोड देना पडा.