________________ खरतरगच्छीयों के कतिपय पराक्रमों की सूचि सबूत के रुप में यहां पर दी है, शांत चित्त से पढे व शासन हित के लिए तत्पर बनें / 7deg 1. सांगानेर (जयपुर के पास) तीनों मंदिरों में भगवान की मूर्तियों पर तपागच्छीय आचार्यो के शिलालेख है / विजय हीरसूरि, विजयसेनसूरि, विजयसिंहसूरि व विजयप्रभसूरि के लेख वाले पगले की देरीयाँ है / फिर भी वहा पर खरतरगच्छ दादावाडी का बोर्ड लगा दीया गया है एवं अभी कुछ बरसों पहले ही मणिप्रभसागरजीने खरतरगच्छीय गुरुमूर्तियाँ भी बैठा दी है। 2. आगरा रोशन मोहल्ला : विजयहीरसूरीश्वरजी के समय के तपागच्छीय मंदिरो में अभी कुछ बरसों पहले खरतरगच्छीय गुरुओं की मूर्तियाँ व पगले बैठा दिये गए है। 3. आगरा विजय हीरसूरीश्वरजी दादावाडी में खरतरगच्छीयों ने अपने गुरुओं के पगले बैठा दिये है / जब तपागच्छवालों ने विजयहीरसूरीश्वरजी की मूर्ति बैठानी चाही तो खरतरगच्छ वालों ने बैठाने नहीं दी / तपागच्छवालों को उनकी खुद की दादावाडी में उनकी मनपसंद जगह पर मंदिर न बनाने देकर अन्य जगह बांधने लिए मजबूर किया / माणिभद्रजी की प्रतिमा को काला भैरव में परिवर्तित कर दिया। 4. श्री ओसियाजी तीर्थ में मंदिर के पिछले भाग की प्राचीन खाली देरीयों में अभी कुछ वर्षों पहले ही नई खरतर-गच्छीय गुरुमूर्तियाँ बैठा दी है। 5. दिल्ली छोटी दादावाडी के मंदिर में भगवान अंचलगच्छीय आचार्यों के प्रतिष्ठित है एवं वहाँ पगलिए भी उनके ही गुरुओं के, थे उन पगलियों को हटा कर बगीचे में रखवा दिया गया है और देरियों में खरतरगच्छीय गुरुओं के नए पगले प्रतिष्ठित किए गए है।। 6. सांचोर में संघ की भलमनसाई का दुरुपयोग करते हुए अन्न जल त्याग की धमकी दे कर खरतरगच्छ के साध्वीने दादावाडी बनवाई। 7. शौरीपुरी तीर्थ में च्यवन कल्याणक व जन्म कल्याणक मंदिर के बीच वि.सं. 2010 में खरतर गुरुओं के पगलिए बैठा दिये / / 8. उदयपुर में खरतरगच्छीयों का अस्तित्व नहींवत् था / वहाँ के