________________ समकित-प्रवेश, भाग-4 91 4. निमित्त (medium) 5. पुरुषार्थ (efforts) 1. स्वभाव बताता है कि किस द्रव्य में यह पर्याय (कार्य) होगी। 2. होनहार बाताती है कि क्या पर्याय (कार्य) होगी। 3. काललब्धि बताती है कि किस समय पर्याय (कार्य) होगी। 4. निमित्त बाताता है कि जब भी कार्य होगा तब किस पदार्थ' पर कार्य में अनुकूल होने का आरोप आयेगा। 5. पुरुषार्थ बताता है कि जब कार्य होगा तब वीर्यगुण की पर्याय यानि पुरुषार्थ क्या होगा। इसका मतलब यह हुआ कि हर द्रव्य की हर निश्चित पर्याय पुरुषार्थ पूर्वक ही होती है तो फिर यह सिद्धांत पुरुषार्थ का लोप करने वाला नहीं बल्कि पुरुषार्थ की पुष्टि करने वाला ही हुआ। प्रवेश : लेकिन भाईश्री आपने बताया पुरुषार्थ भी आत्मा के वीर्य गुण की पर्याय है तो वह भी तो अपने निश्चित समय पर ही होगी, उसको भी करने की क्या आवश्यकता है? समकित : अरे भाई ! यदि ऐसा हो तो भगवान की वाणी में आये हुए सिद्धांतो के __जानकर मोक्षार्थी सम्यकदृष्टि ज्ञानी जीव भी पुरुषार्थहीन सिद्ध हो जायेंगे जबकि वे तो प्रचंड (तीव्र") पुरुषार्थी होते हैं। प्रवेश : कैसे? समकित : जिसप्रकार सम्यकदृष्टि ज्ञानी जीव यह जानते और मानते हुए कि हर पर्याय अपने निश्चित समय पर ही होती है और उस समय उसका पुरुषार्थ (वीर्य गुण की पर्याय) आदि पाँच समवाय कारण भी सहज उपस्थित रहते हैं। फिर भी अभी पूर्ण वीतरागी न होने के कारण 1.substance 2.favored 3.effort 4.principle 5.confirmation 6.requirement 7.principles 8.efforts-inferior 9.prove 10.intense 11.available