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________________ अस्तित्व गुण और अकर्तावाद समकित : परमाणु हथियारों और जानलेवा-बीमारियों के इस युग में हर व्यक्ति इस चिंता मे निमग्न है कि कहीं इस विश्व का या फिर हमारा नाश ना हो जाये, लेकिन उसकी यह चिंता व्यर्थ ही है क्योंकि भगवान की वाणी के अनुसार तो ऐसा होना असंभव है क्योंकि यह विश्व अनंत द्रव्यों का समूह है और हम खुद भी एक द्रव्य हैं और द्रव्य अनंत गुणों का समूह है व हर द्रव्य में एक अस्तित्व नाम का सामान्य गुण पाया जाता है जिसका अर्थ है कि हर द्रव्य में एक ऐसी शक्ति है कि न तो द्रव्य की उत्पत्ति हो सकती है और न ही उसका नाश यानि कि द्रव्य अनादि-अनंत है। प्रवेश : भाईश्री ! चूंकि द्रव्य अनादि-अनंत है और गुणों का समूह ही द्रव्य है, तो गुण भी अनादि अनंत होते होंगे? समकित : हाँ, गुणों की भी उत्पत्ति और नाश नहीं होता। वे भी अनादि-अनंत यदि कुछ नयी उत्पन्न या पुरानी नष्ट होती है तो वह है द्रव्य के गुणों की एक समय की पर्याय / प्रवेश : यह तो बिल्कुल वैसा ही है जैसा हम साईंस में पढ़ते हैं- Energy can neither be created, nor be destroyed. Only it can be transformed from one form to another. समकित : हाँ, बिल्कुल ! आज के वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं जो बात हमारे वीतराग-विज्ञान की अलौकिक-प्रयोगशाला के महान वैज्ञानिक अनेक तीर्थंकर भगवंत अनंतकाल से कहते आ रहे हैं। यह बात और है कि आज हमको उन रागी-द्वेषी और अल्पज्ञ वैज्ञानिकों की बात का भरोसा अधिक और वीतराग-सर्वज्ञ वैज्ञानिकों की बात का भरोसा कम है। 1.nuclear-weapons 2.life threatening diseases 3.era 4.tension 5.brooded 6.pointless 7.pro-creation 8.destruction 9.supernatural-lab 10.sciolist
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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