________________ द्रव्य-गुण-पर्याय समकित : पिछले पाठ में हमने देखा कि विश्व में अनंत वस्तुएँ यानि की द्रव्य' हैं। वास्तव में अनंत द्रव्यों का समूह ही विश्व है। प्रवेश : जैसे? समकित : जैसे यह पुस्तक एक द्रव्य है, जिस टेबल पर रखकर आप इसको पढ़ रहे हैं वह और जिस कुर्सी पर हम बैठे हैं वह भी एक द्रव्य है और तो और हम स्वयं भी एक द्रव्य हैं। अन्तर बस इतना हैं कि पुस्तक, टेबल, कुर्सी आदि अजीव द्रव्य हैं और हम सभी जीव द्रव्य हैं, लेकिन हैं तो आखिर सभी द्रव्य ही न और सभी द्रव्य गुणों से भरपूर हैं। वास्तव में तो गुणों का समूह ही द्रव्य है। प्रवेश : यह गुण क्या होते हैं? समकित : द्रव्य की शक्तियों को गुण कहते हैं। यह गुण सम्पूर्ण द्रव्य की हर एक पर्याय में कायम रहते हैं। प्रवेश : यह पर्याय क्या होती है ? समकित : हर-एक द्रव्य के हर-एक गुण की अवस्था" लगातार" बदलती रहती है जिसे हम पर्याय कहते हैं। प्रवेश : जैसे? समकित : मान लो यह पेज एक अजीव द्रव्य है। अब जब यह द्रव्य है तो इसमें गुण भी जरूर होंगे। इसमें भी अनंत गुण हैं। जिनमे से एक रंग (वर्ण) नाम का गुण है जिसका अर्थ है कि इस अजीव द्रव्य में एक ऐसी शक्ति है कि इसका कुछ न कुछ रंग जरूर ही रहेगा, चाहे यह गल जाये, जल जाये या सड़ जाये। 1.objects 2.infinite 3.group 4. non-living 5.living 6.attributes 7.actual 8.capabilities 9.entire 10.sustained 11.state 12.continuously