________________ समकित-प्रवेश, भाग-3 नाम | भाव इन्द्रिय द्रव्य इन्द्रिय | इन्द्रिय विषय स्पर्शन | स्पर्श को जानने वाला ज्ञान | त्वचा आदि | हल्का-भारी, रूखा-चिकना, ठण्डा-गरम, (पर्याय) कठोर-नरम रसना | रस को जानने वाला ज्ञान | जीभ खट्टा, मीठा, कड़वा, कषायला, चरपरा (पर्याय) घ्राण | गंध को जानने वाला ज्ञान | नाक सुगंध-दुर्गंध (पर्याय) चक्षु | वर्ण को जानने वाला ज्ञान | आँख लाल, पीला, नीला, काला, सफेद / (पर्याय) कर्ण | शब्द को जानने वाला ज्ञान | कान | सुस्वर-दुस्वर (पर्याय) प्रवेश : अरे वाह ! यह चार्ट तो बहुत ही अच्छा है। समकित : चार्ट से समझ में आ गया होगा कि : 1. जीव का जो ज्ञान, स्पर्श' को जानता है वह भाव स्पर्शन इन्द्रिय और उसमें निमित्त शरीर की त्वचा आदि वह द्रव्य स्पर्शन इन्द्रिय कहलाती है। 2. जीव का जो ज्ञान, रस को जानता है वह भाव रसना इंद्रिय और उसमें निमित्त शरीर की जीभ वह द्रव्य रसना इन्द्रिय कहलाती है। 3. जीव का जो ज्ञान, गंध को जानता है वह भाव घ्राण इंद्रिय और उसमे निमित्त शरीर की नाक द्रव्य घ्राण इंद्रिय कहलाती है। 4. जीव का जो ज्ञान, वर्ण' को जानता है वह भाव चक्षु इन्द्रिय और उसमें निमित्त शरीर की आँख वह द्रव्य चक्षु इन्द्रिय कहलाती है। 5. जीव का जो ज्ञान, शब्द को जानता है वह भाव कर्ण इंद्रिय और उसमें निमित्त शरीर के कान वह द्रव्य कर्ण इंद्रिय कहलाती है। प्रवेश : इसका मतलब यह हुआ कि भाव इंद्रियाँ जीव के ज्ञान गण की पर्याय (अवस्था) हैं, यानि कि जीव की हैं और द्रव्य इंद्रियाँ पुद्गल की पर्याय हैं, यानि की पुद्गल (शरीर) की हैं ? 1.touch 2.taste 3.smell 4.colour 5.sound