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________________ समकित-प्रवेश, भाग-2 पहुँचता है। ठीक उसी तरह जिस तरह हमसे हमारी प्रिय वस्तु छिन जाने से हमको बहुत दुःख होता है। इसलिए शहद की एक बूंद के सेवन में भी कई प्रकार से पाप ही पाप है। प्रवेश : यह पाँच उदम्बर फल किसे कहते हैं ? समकित : ऐसे फल जिनके अंदर अनेक छोटे-बड़े त्रस जीव होते हैं,उन्हें उदम्बर फल कहते हैं। यह पाँच होते हैं: 1 बड़' 2. पीपर 3. ऊमर 4. कठूमर' 5. पाकर (अंजीर) बड़ या बरगद पीपर या पीपल ऊमर या गूलर कठूमर या कठगूलर पाकर या अंजीर प्रवेश : अच्छा पाकर ही अंजीर कहलाता है ? समकित : हाँ, पाकर को ही उर्दू में अंजीर कहते हैं। अरब लोगों के हमारे देश में आने से पहले इसे पाकर कहते थे। इसी कारण से बहुत से लोग यह तो जानते है कि पाकर उदम्बर फल है, खाने लायक नहीं है लेकिन वे ये नहीं जानते कि अंजीर ही पाकर है। जानकारी होने के बाद तो जरूर ही इसे खाना छोड़ देना चाहिये। प्रवेश : आपने सही कहा। इन आठों चीजों के खाने से बहुत त्रस जीवों की __हिंसा का पाप होता है। इसका फल तो नरक ही होगा? समकित : हाँ, क्योंकि ऐसी चीजों का सेवन बिना तीव्र कषाय के नहीं हो सकता और तीव्र कषाय का फल नरक है। प्रवेश : भाईश्री ! क्या यही श्रावक के अष्ट मूल गुण हैं ? 1.strangler fig 2.sacred fig 3.cluster fig4.hairy fig 5.common fig6.arabians
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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