________________ समकित-प्रवेश, भाग-2 31 प्रवेश : मनुष्य व देवगति, में जन्म किस कषाय की तीव्रता' से होता है ? समकित : तीव्र नहीं, मंद-कषाय वाले जीव मनुष्य व देव-गति में जन्म लेते हैं। यानि कि जो जीव रात-दिन चीजों को इकट्ठा करने में नहीं लगे रहते, खुद शांति से रहते हैं और दूसरों को भी रहने देते हैं, कभी किसी को नीचा दिखाने का भाव नहीं रखते व सभी के साथ सरलता का व्यवहार करते हैं और धर्म में अपना मन लगाते हैं वे मनुष्य व देव गति में जन्म लेते हैं। प्रवेश : तो हमें हमेंशा कषाय को मंद करने की कोशिश करनी चाहिए ? समकित : नहीं, हमें हमेंशा कषाय के अभाव की कोशिश करनी चाहिए ताकि हम पंचम गति यानि मोक्ष को पा सकें। जब हम कषायों का अभाव करने की कोशिश करते हैं तब कषायें अपने-आप ही मंद होने लग जाती हैं यानि कि हम तीव्र-कषाय या कहो कि पापों से बच जाते हैं। प्रवेश : अच्छा तो तीव्र-कषाय को ही पाप कहते हैं ? समकित : हाँ, बिल्कुल ! प्रवेश : भाईश्री ! पाप के बारे में बताईए न। समकित : अभी बहुत देर हो गयी है, कल बताऊँगा। मार्ग में चलते हुए यदि कोई सज्जन साथी हो तो मार्ग सरलता से कटता है। पंच परमेष्ठी सर्वोत्कृष्ट साथी हैं। इस काल में हमें गुरुदेव उत्तम साथी मिले हैं। साथी भले हो, परन्तु मार्ग पर चलकर ध्येय तक पहुँचना तो अपने को ही है। -बहिनश्री के वचनामृत 1. high intensity 2.destruction 3.low