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________________ समकित-प्रवेश, भाग-8 285 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलभद्र, 9 नारायण, 9 प्रतिनारायण ऐसे कुल 63 शलाका पुरुष होते हैं। ये सब तीर्थंकर की तरह ही चौथे-काल (आरे) में थोड़े-थोड़े समय के अंतर से एक के बाद एक होते हैं। प्रवेश : ये भरत क्षेत्र और चौथा-काल (आरा) क्या होता है ? समकित : वो बाद मैं कभी बताऊँगा। प्रवेश : 63 शलाका पुरुषों के नाम बताईये न ? समकित : 24 तीर्थंकर के नाम तो तुमको पता ही हैं। बाकी मैं बताता हूँ। 12 चक्रवर्तीः भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, सुभौम, पद्म, हरिषेण, जयसेन और ब्रह्मदत्त 9 नारायणः त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयंभू, पुरुषोत्तम पुरुषसिंह, पुण्डरीक, दत्त, लक्ष्मण और श्रीकृष्ण 1 बलभद्रः विजय, अचल, सुधर्म, सुप्रभ, सुदर्शन, नंदी, नंदिमित्र, रामचन्द्र व बलदेव 9 प्रतिनारायणः अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधु-कैटभ, निशुंभ, बलि, प्रहरण, रावण व जरासन्ध प्रवेश : अच्छा, तो श्रीराम आठवें बलभद्र, लक्ष्मण आठवें नारायण और राक्षस रावण आठवाँ प्रतिनारायण था ? समकित : अरे रावण कोई राक्षस नहीं था। वह तो सम्यकदृष्टि और महाविद्वान विद्याधर (अनेक विद्याओं का धारी) मनुष्य और अर्द्धचक्रवर्ती (सम्राट) था, मात्र उसके वंश (कुल') का नाम राक्षस-वंश था। हाँ यह बात जरूर है कि बाद में उसका सम्यकत्व छूट गया था और वह सीता हरण जैसा महापाप कर बैठा था। 1.clan 2. kidnapping
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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