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________________ अनेकांत और स्यादवाद समकित : कल आपने अनेकांत और स्याद्वाद के बारे में पूछा था। आज हम अनेकांत और स्याद्वाद के स्वरूप की चर्चा करेंगे। अनेकांत शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है: 1. अनेक 2. अंत अनेक का अर्थ होता है-एक से अधिक यानि कि दो से लेकर अनंत' तक की संख्या को अनेक कहते हैं। अंत का अर्थ होता है-गुण या धर्म। जब हम अनेक का अर्थ दो करते हैं तब अंत का अर्थ किया जाता है-धर्म। इस प्रकार अनेकांत का अर्थ हो जाता है-दो धर्म। जब हम अनेक का अर्थ अनंत करते हैं तब अंत का अर्थ किया जाता है-गुण। इसप्रकार अनेकांत का अर्थ हो जाता है-अनंत गुण। प्रवेश : भाईश्री ! यह अनेकांत शब्द किसके दो धर्मों या अनंत गुणों को बताता समकित : प्रत्येक वस्तु के। प्रत्येक वस्तु अनेकांतात्मक है यानि कि प्रत्येक वस्त में दो विरोधी' से लगने वाले धर्मों के अनंत जोड़े व अनंत गुण पाये जाते हैं। प्रवेश : जैसे? समकित : जैसे जीव को ही लें / जीव में ज्ञान, श्रृद्धा, चारित्र व सुख आदि अनंत गुण पाये जाते हैं या कहो कि इन अनंत गुणों का समूह ही जीव है। प्रवेश : और धर्म ? समकित : जीव में विरोधी से लगने वाले नित्य-अनित्य आदि धर्मों के अनंत जोड़े पाये जाते हैं। 1.infinite 2.quantity 3. object 4. opposite 5. attributes 6.pair 7.collection
SR No.035325
Book TitleSamkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvardhini Punit Jain
PublisherMangalvardhini Foundation
Publication Year2019
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size117 MB
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