________________ बहिरात्मा-अंतरात्मा-परमात्मा समकित : पिछले पाठ में हमने चौदह गुणस्थानों यानि कि जीव की संसार से लेकर मोक्ष तक की चौदह अवस्थाओं की चर्चा की। इन चौदह अवस्थाओं को हम तीन समूहों में बाँट सकते हैं: 1. बहिरात्मा 2. अंतरात्मा 3. परमात्मा प्रवेश : कैसे? समकित : बहिरात्मा का मतलब है-मिथ्यादृष्टि जीव, जो कि संसार में भटक रहा अंतरात्मा का मतलब है-सम्यकदृष्टि जीव, जो कि मोक्षमार्ग में लगा हुआ है। परमात्मा का अर्थ है-मुक्त जीव यानि कि जिस जीव ने मोक्ष को पा लिया है। प्रवेश : ओह ! यह तो बहुत आसान है। समकित : हाँ, पहले गुणस्थान वाले जीव मिथ्यादृष्टि व संसार-मार्गी होने से बहिरात्मा हैं। चौथे से बारहवें गुणस्थान वाले जीव सम्यकदृष्टि और मोक्षमार्गी होने से अंतरात्मा हैं और तेरहवें-चौदहवें गुणस्थान वाले अरिहंत भगवान और गुणस्थानातीत सिद्ध भगवान, मुक्त जीव होने से परमात्मा हैं। दूसरे व तीसरे गुणस्थान वाले जीवों की चर्चा कभी समय मिलने पर करेंगे। प्रवेश : सिद्ध भगवान तो मुक्त हैं यानि कि मोक्ष प्राप्त कर चुके हैं लेकिन अरिहंत भगवान को मोक्ष कहाँ हुआ है ? समकित : अरिहंत भगवान को भी भाव मोक्ष तो हो ही चुका है क्योंकि वे पूर्ण वीतराग और सर्वज्ञ हो चुके हैं। उनके आत्मा के स्वभाव (गुणों) का घात (नुकसान) करने वाले घातिया कर्मों का नाश हो चुका है, अनंत 1.states 2.groups