________________ मुनिराज की पाँच समिति निश्चय से आत्मा में गमन (लीनता) करना समिति है। ऐसी निश्चय समिति के साथ आवश्यकरूप-से' होने वाला जीवों को पीड़ा से बचाने का शुभ राग और उससे संबंधित सावधानी (यत्नाचार) पूर्वक की जाने वाली क्रियायें व्यवहार से समिति कहने में आती है। मुनिराज का अपनी शुद्धात्मा में तीसरे स्तर की लीनता होना निश्चय समिति है और शेष रह गये जीव-रक्षा संबंधी शुभ-राग और उसके लिये अत्यंत सावधानी-पूर्वक की जाने वाली क्रियायें व्यवहार समिति प्रवेश : निश्चय समिति तो एक ही है, व्यवहार समिति कितने प्रकार की होती समकित : व्यवहार समिति पाँच प्रकार की होती हैं: 1.ईर्या समिति 2.भाषा समिति 3.एषणा समिति 4.आदान-निक्षेपण समिति 5.प्रतिष्ठापना समिति प्रवेश : यह नाम तो बहुत कठिन हैं ? समकित : थोड़ी देर में सरल लगने लगेंगे, सुनो ! 1. ईर्या समितिः जीव-जन्तु रहित प्रासुक-मार्ग में दिन के प्रकाश में ही चार हाथ भूमि को देखकर चलना ईर्या समिति है। 2. भाषा समितिः दूसरों को पीड़ा पहुचाने वाले, कानों को चुभने वाले, दूसरों की हँसी उड़ाने वाले, दूसरों की निंदा व अपनी प्रशंसा करने वाले, कलहकारक, पर-अपवाद कारक, विकथा आदि शब्दों को त्याग 1.essentially 2.carefully 3.disinsected-route 4.day-light 5.land