________________ समकित-प्रवेश, भाग-5 103 समकित : वह गृहीत मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्र है। प्रवेश : गृहीत मतलब? समकित : मिथ्यादर्शन-मिथ्याज्ञान-मिथ्याचारित्र दो प्रकार के होते हैं: 1. अगृहीत' मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र 2. गृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र अगृहीत का अर्थ है जिसे नया-ग्रहण न किया गया हो यानि कि जो अनादि-का हो और गृहीत का अर्थ होता है कुदेव, कुशास्त्र, कुगुरू आदि के निमित्त से जो नया ग्रहण किया गया हो। अगृहीत मिथ्यादर्शन- ज्ञान-चारित्र को निश्चय मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र और गृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र को व्यवहार मिथ्यादर्शन-ज्ञान चारित्र भी कहते हैं। प्रवेश : अगृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र तो दुःख/संसार का मूल कारण है अर्थात जीव का बुरा करने वाले हैं लेकिन क्या गृहीत मिथ्यादर्शन ज्ञान-चरित्र से भी जीव का कुछ बुरा होता है ? समकित : गृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र, अगृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र को पुष्ट करने वाले हैं, उसे सुरक्षा कवच प्रदान करने वाले हैं। गृहीत मिथ्यादर्शन यानि कुदेव-कुशास्त्र-कुगुरु आदि का सेवन', गृहीत मिथ्याज्ञान यानि असतू शास्त्रों का स्वाध्याय" व गृहीत मिथ्याचारित्र यानि कि कुलिंग आदि असत् आचरण" के निमित्त से जीव स्वयं को न जानकर मात्र दूसरो को जानने, स्वंय में अपनापन न कर दूसरो में अपनापन करने व स्वयं में लीन न होकर दूसरो में लीन-तल्लीन-तन्मय होने के मार्ग पर ही आगे बढ़ता जाता है और उसका दुःख/ संसार बढ़ता जाता है। अतः अगृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र जो दुःख/संसार का मूल कारण है उससे छूटने के लिये पहले गृहीत मिथ्यादर्शन-ज्ञान-चारित्र से छूटना चाहिये जिसकी चर्चा हम विस्तार से आगे के पाठों में करेंगे। 1.inborn 2.newly-adopted 3.newly-adopt 4.inborn 5.actual 6.formal 7.root-cause 8.strong 9.safe-guard 10.association 11.study 12.wrong-practices