________________ 35. प्रश्नव्याकरण तथा उत्तरा0 12 एवं 25 वाँ अध्ययन। 36. अहिंसा -यदा न कुरुते पापं सर्वभूतेषु दारुणम्।। कर्मणा मनसा वाचा ब्रह्म सम्पद्यते तदा।। सत्य- यदा सर्वानृतं त्यक्तं मिथ्याभाषा विवर्जिता। अनवद्यं च भाषेत ब्रह्मसम्पद्यते तदा।। अश्वमेधसहस्रं च सत्यं च तुलया घृतम् / अश्वमेधसहस्राद्धि सत्यमेव विशिष्यते / / अचौर्य- परद्रव्यं यदा दृष्टं आकुले ह्यथवा रहे।। धर्मकामो न गृह्णाति ब्रह्म सम्पद्यते तदा।। ब्रह्मचर्य- देवमानुषतिर्यक्षु मैथुनं वर्जयेद्यदा। कामरागविरक्तश्च ब्रह्म सम्पद्यते तदा।। अकिञ्चनभाव-यदा सर्व परित्यज्य निस्सङ्गो निष्परिग्रहः / निश्चिन्तश्च चरेद् धर्म ब्रह्म सम्पद्यते तदा।। उत्तराध्ययन-टीका, आत्माराम, पृ0 1121 से 1125 37. दीघनिकाय, कूटदंतसुत्त / 38. गीतामन्थन- किशोरीलाल, पृ0 97 39. उत्तरा0 12/39; 25/30, 40. आरण्यक में-"ऋषभ एव भगवान् ब्रह्मा तेन भगवता ब्रह्मणा स्वयमेव चीर्णानि प्रणीतानि ब्राह्मणानि। ब्रह्माण्ड पुराण में भी लिखा है-'इह हि इच्छवाकुवंशोद्भवेन् / नाभिसुतेन मरुदेव्या नन्दनेन महादेवेन ऋषभेण दशप्रकारो धर्मः स्वयमेव चीर्णः केवलज्ञानलम्भाच्च महर्षिणो ये परमेष्ठिनो वीतरागः स्नातका निर्ग्रन्था नैष्ठिका तेषां प्रवृर्तिः ख्यातः प्रणीतश्च त्रेतायामादौ'। 41. वही 25/17 42. बाह्यलिङ्ग के तीन प्रयोजन हैं - (1) संयमनिर्वाह, (2) ज्ञानादिग्रहण और (3) लोक में प्रतीति कराना कि यह अमुक है। उत्तरा0 23/32 43. उत्तरा0 12/38,39; 20/43 से 50; 22/46 44. वही 25/32 से 35 45. उत्तरा० अध्ययन, 23 46. उत्तरा0 12/42 47. वही 12/1 48. वहीं अध्ययन 13 वाँ। 49. वही अध्ययन 22 वाँ। 50. उत्तरा0 12/42 से 45 51. उत्तरा0 12/46 52. वही0 12/47 53. स्याद्वादमञ्जरी-हिन्दी टीका, पृ0 131 54. चरणकरणप्पहाणा ससमयपरसमयमुक्कवावारा। चरणकरणस्ससारं णिच्छयसुद्धं ण माणंति / / सन्मतितर्क 3/67 205