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________________ सिद्ध-सारस्वत सरकार ने भी उनकी योग्यता को पहचाना तथा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया। जैन समाज उनके 75 वें जन्मदिन पर एक प्रशस्ति ग्रन्थ प्रकाशित कर रही है, यह प्रसन्नता का विषय है। मेरी कामना है कि वह शतायु हों और समाज को धर्म का प्रकाश देते रहें। मेरी यह भी इच्छा है कि वह अपने जैसे और भी विद्वान् बनायें जिससे प्राकृत भाषा का ज्ञान अक्षुण्ण रहे। पुनः शुभकामनाओं के साथ। श्री जिनेश्वर कुमार जैन एच.आई.जी. 7, नेहरु नगर, कोरबा (छ.ग.) आदरणीय सावजी साहब को बधाई हम सभी के लिए यह अत्यन्त गौरव व सम्मान का क्षण है कि आपके 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अभिनदन्न ग्रन्थ प्रकाशित होने जा रहा है। कृपया मेरी व परिवार की बधाई स्वीकार करें। हम सभी आपके विगत वर्षों की उपलब्धियों से अत्यन्त प्रभावित हैं। आपने जैन दर्शन के दार्शनिक विषयों के साथ इतिहास के उन तथ्यों को उजागर किया है जिनके विषय में जैन समाज को कम जानकारी है। इसके लिये आपने प्राकृत व संस्कृत भाषा का गहन अध्ययन किया है। इसके लिये आपको राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया है। आप जैन समाज के चन्द बुद्धिजीवियों में हैं जिनको समय समय पर संत मुनियों से आमंत्रण प्राप्त है। पुनः आपको शुभकामनाएँ व बधाई। श्री संतोषकुमार जैन शहडोल हिमगिरि सम उन्नत ललाट धन्य सुधा सम दिन यह पावन, पुलकित हृदय हमारे, शिक्षा विभाग धार्मिक आस्था, पुरुषार्थ के अतिथि पधारे।। गंगा यमुना त्रिवेणी सा पावन संगम लगता है। संस्कृत-प्राकृत-भाषाओं की सुन्दर महिमा सी लगती है।। सौम्य-प्रकृति शालीन वेश, मधुवाणी का संगम पाया। कई दिनों से आश लगी पर आज मिलन अवसर आया।। हर्षित तन मन से आज सभी, दर्शन पा आज तुम्हारे। सङ्काय प्रमुख बी.एच.यू. में पद पाकर, गरिमा को साकार किये।। स्वयं बढ़े कर्त्तव्य मार्ग पर, सबको ऐसी दी ज्योति / मानों कोई हँस उदधि से चुनकर लाया हो मोती।। कांतिमान-ओजस्वी व्यक्तित्व, सदा परिचय देता है। दीन-दुखी की पीड़ाओं पर इनका करुण हृदय रोता है।। बाधाओं से लड़ने का इनमें अद्भुत साहस पाया। परहित में ही सदा कार्यरत सुख पाती इनकी काया।। मानव सेवा प्रभु सेवा है, ईश्वर है साथ हमारे। राष्ट्रपति से हुए पुरस्कृत, नित नव यह सम्मान मिले।। स्वर्णपदक से रहे अलंकृत, कर्मठता का वरदान मिले। शासन से गौरव मिले, तुम्हें निज मातृभूमि का मान / / हिमगिरी से उन्नत ललाट पर महिमा मंडित शान रहे। मधुर भाव से स्वीकारो मामाजी ये श्रद्धा-सुमन हमारे / / श्री कवि नन्दन लाल जैन शास्त्री सेवानिवृत्त अध्यापक, पी 384, शिवनगर, जबलपुर ___121
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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