SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्ध-सारस्वत विनम्र, होनहार और अध्यवसायी श्री सुदर्शन लाल 1959 जुलाई से इस महाविद्यालय के छात्र रहे हैं। यहाँ अध्ययन करके इन्होंने आचार्य परीक्षा उत्तीर्ण की है। ये बहुत विनम्र, होनहार, अध्यवसायी, मेधावी और कुशल व्यक्ति हैं। अपने उत्तरदायित्व का योग्यतापूर्वक निर्वाह करते हैं। गतवर्ष इन्होंने स्याद्वाद पत्रिका का सम्पादन किया था और उसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई थी। इनका चरित्र उत्तम है। खेलकूद, भाषणप्रतियोगिता आदि में सफलता प्राप्त की है। मैं इनकी अभ्युन्नति का इच्छुक हूँ। पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री प्रधानाचार्य, श्रीस्याद्वाद महाविद्यालय, वाराणसी Devoded to his studies This is to cartify that Sri Sudarshan Lal jain studied Indian and European Philosophy with me in B.A. He always impressed me as an intelligent and hard working student. He has a keen interest in Philosophy and its problems. I have no doubt that he will be very successful as a research worker. My best wishes are with him. ___Dr. R. R. Dravid Lecturer in Philosopy, C.H.C. (Arts College) BHU बुद्धिमान् एवं विनयशील श्री सुदर्शन लाल जैन को मैं विगत कई वर्षों से अच्छी तरह जानता हूँ। ये मरे छात्र भी हैं। ये बहुत बुद्धिमान्, विनयशील और योग्य व्यक्ति हैं। कोई भी दायित्व इन्हें दिया जाए तो ये उसे योग्यतापूर्वक सम्पन्न करते और उसमें सफलता प्राप्त करते हैं। इनका संस्कृत, प्राकृत, पाली, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं पर अधिकार है। मैं आपका उत्कर्ष चाहता हूँ। मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं। डॉ. पं. दरबारी लाल कोठिया प्राध्यापक, जैनदर्शन विभाग, संस्कृत महाविद्यालय, बी.एच.यू. विषय प्रतिपादन शैली उत्तम मैं श्री सुदर्शन लाल जैन को अच्छी तरह से जानता हूँ। मेरे छात्र रहे हैं। ये बड़े परिश्रमी, अध्ययनशील, अनुशासन प्रिय, सज्जन एवं सच्चारित्र व्यक्ति हैं। इनकी लेखन शैली उत्तम श्रेणी की है। इनकी विषय प्रतिपादन शैली उत्तम है। डिबेटों में भी पुरस्कार प्राप्त किये हैं। इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। पं. हीरावल्लभ शास्त्री प्राध्यापक, दर्शन विभाग, संस्कृत महाविद्यालय, बी.एच.यू.वाराणसी 112
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy