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________________ - 162 1 संस्कृत-प्रवेशिका [पाठ : 3-5 13. यदि किसी क्रिया के कर्ता भिन्न-भिन्न पुरुषों के हों और ये 'च' शब्द से जुड़े हों तो क्रिया का पुरुष प्राधान्य ( उत्तम-मध्यम→प्रथम) के अनुसार होगा चाहे वे किसी भी क्रम से क्यों न उक्त हों। (3-7) 14. यदि किसी क्रिया के कर्ता भिन्न-भिन्न पुरुषों के हों और वे 'वा' या 'अथवा' (विकल्प-वाचक) शब्द से जुड़े हों तो क्रिया का पुरुष और वचन अन्तिम कर्ता के पुरुष और वचन के अनुसार होगा। (9-10) अभ्यास ३-क्या गीता और मैं खेलता है ? आँगन में आम के पेड़ से पत्ते गिरते हैं। आप दोनों कहाँ जाते हैं ? सीता, गीता और मोहन पढ़ते हैं। तुम, राम और मोहन रेल से कहाँ जाते हो? आप विद्वान् हैं। सीता अथवा गीता कूदती है। महेश अथवा तुम दौड़ते हो। तुम, मैं और राम पढ़ते हैं / आप सब गाते हैं। 'पाठ 4 : सामान्य भूतकाल और भविष्यत्काल (Past and Future Indefinite Tenses ) सदाहरण-वाक्य [ 'लङ्' और 'लुट' लकारों का प्रयोग ] 1. वह गाँव गया = सः ग्रामम् अगच्छत् = अगच्छत् सः ग्रामम् / 2. क्या मैंने अपना काम नहीं किया = किम् अहं स्वकार्य न अकश्वम् ? 3. लक्ष्मण ने राम की सेवा की = लक्ष्मणः रामस्य सेवाम् अकरोत् / 4. मैंने पुस्तक पढ़ी- अई पुस्तकम् अपठम् = पुस्तकम् अपठमहम् / 5. सीता ने भात खाया % सीता ओवनम् अखादत् / 6. आज वह स्कूल जायेगा = अद्य सः विद्यालयं गमिष्यति / 7. क्या तुम उसका काम नहीं करोगे % किं त्वं तस्य कार्य न करिष्यसि ? 5. मैं वर्गीचे में पूलों को देखंगा- अहम् उद्याने पुष्पाणि द्रक्ष्यामि / 1. आप नगर के उद्यान में सीता को देखोगे- भवान् नगरस्य उद्याने सीता द्रक्ष्यति / नियम-१५. भूतकाल में 'लङ् लकार का प्रयोग किया जाता है।' 1. (क). संस्कृत में भूतकाल के लिए तीन लकारों का प्रयोग प्रचलित है-लङ्,लिट् और लुङ् / लङ् का प्रयोग अनद्यतन भूत (जो आज की बात नहीं है) में (जैसेअहं ह्यः ग्रामम् अगच्छम्), लिट् का प्रयोग परोक्षभूत (बहुत अधिक पुरानी घटना) में (जैसे-रामो राजा बभूव) और 'लुङ्' का सामान्य भूत (अद्यतनभूत-जो मिला बाज ही हुई हो उस भूतकाल) में (जैसे-अद्य अहं ग्रामम् अगमम्) होता है। परन्तु आजकल सुगमता की दृष्टि से भूतकाल में 'लङ्' का प्रयोग अधिक प्रचलित हो रहा है। सामान्य काल, सर्वनाम आदि] 2. अनुवाद 16. सामान्य भविष्यत् काल में 'लूट' लकार का प्रयोग किया जाता है।" 17. कर्ता, कर्म और क्रिया को किसी भी क्रम से रख सकते हैं / (1, 4) अभ्यास ४.-मैं अच्छोद सरोवर में स्नान के लिए आई थी। क्या सूर्य अस्त हो गया था ? कृष्ण ने कंस को मारा / आज शकुन्तला पति के घर जायेगी / आज तुम सब ईश्वर का भजन करोगे / मैं बी० ए० कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करूंगा। हे कपिराज ! कल तुम अयोध्या में भरत का दर्शन करोगे / मेरे मित्र का विवाह पन्द्रह जून को होगा / क्या उसने कल गीत नहीं गाया? रमेश साईकिल से गिरा / परसों से स्नातकोत्तर कक्षाओं की परीक्षायें प्रारम्भ होंगी। देश का प्रधान मंत्री कौन बनेगा? राजा अशोक अहिंसा का पुजारी था। पाठ 5: सर्वनाम, विशेषण, क्रियाविशेषण और अव्यय उदाहरण-वाक्य [तीनों कालों का प्रयोग] 1. क्या यह फल मधुर नहीं है = किम् इदं फलं मधुरम् नास्ति? 2. क्या वह बीमार बालक शीघ्र चलता है = सः रुग्णः बालकः शीघ्र चलति / 'किम्? 3. यह गीता रमेश की पत्नी है = एषा गीता रमेशस्य पत्नी अस्ति / 4. वह उस ब्राह्मण के लिए नीला वस्त्र और सफेद थाली देता है - सः तस्मै ब्राह्मणाय नीलं वस्त्रं श्वेतां स्थाली च दास्यति / 5. इस बगीचे में दो वृक्ष, दो लतायें और दो पुष्प सुशोभित है = अस्मिन् उद्याने द्वौ वृक्षी द्वेलते द्वे पुष्पे च शोभन्ते / (ख). कभी-कभी 'लट् लकार में 'स्म' जोड़कर भी भूतकाल का अर्थ प्रकट किया जाता है / यद्यपि 'स्म' का प्रयोग सभी पुरुषों और सभी वचनों में होता है परन्तु प्र० पुल में ही इसका प्रयोग अधिक देखा जाता है। 'स्म' को क्रिया से पृथक ही लिखा जाता है, मिलाकर नहीं। जैसे-एकस्मिन् वने कोऽपि सिंहो वसति स्म (एक बन में कोई सिंह रहता था)। ते ग्राम गच्छन्ति स्म (वे गाँव गये)। (ग). 'कृत' प्रत्ययों (क्त और क्तवतु) का भी प्रयोग भूतकाल की क्रिया के रूप में होता है। जैसे--सीता वनं गतवती / सः गतः / रामः रावणं हतवान् / आजकल इनका प्रयोग बहुतायत से होता है। (देखिए, पाठ 10). 1. संस्कृत में भविष्यत्काल के लिए दो लकारों का प्रयोग होता है-लृट् और लुट् / सामान्य भविष्यकाल में 'लुट्' और अनद्यतन भविष्यत् में 'लुट्' / जैसे-महं ग्रामं गमिष्यामि (मैं गाँव जाऊँगा)। अहं श्वः ग्राम गन्तास्मि ( मैं कल गाँव जाऊँगा)।
SR No.035322
Book TitleSanskrit Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherTara Book Agency
Publication Year2003
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size98 MB
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