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________________ के विषय में प्रवचन कर रहे थे / तभी किसी विद्यार्थी ने प्रश्न किया-Sir, you are often talking about soul, please show me your soul (आप हमेशा आत्मा के विषय में बातें करते रहते हो तो कृपया आप अपनी आत्मा हमें बताएँ) डॉ. राधाकृष्णन् ने कहा-Only talented can see soul जो बुद्धिमान् है, वही आत्मा को देख सकता है, जो बुद्धिमान् हो वह आगे आ जाय / ' उसी समय एक विद्यार्थी टेबल के पास आ गया / डॉ. राधाकृष्णन् ने उसे कहा-तुम अपनी बुद्धि टेबल के बायीं ओर रख दो, मैं अपनी आत्मा टेबल के दायीं ओर रख देता हूँ।' शर्म के मारे वह विद्यार्थी नतमस्तक हो गया / हर बुद्धिमान व्यक्ति बुद्धि का अनुभव करता है, फिर भी उसे बाहर बताया नहीं जा सकता / बस, इसी प्रकार इस देह में आत्मा का अस्तित्व होने पर भी उसे बाहर बताया नहीं जा सकता है | दुनिया में ऐसी बहुत सी चीजें हैं, बहुत से ऐसे संवेदन हैं, जिन्हें हम अनुभव करते हुए भी वाणी के द्वारा व्यक्त नहीं कर सकते हैं। * मूक व्यक्ति गुलाब-जामुन के स्वाद का मजा ले सकता है परन्तु उसे वाणी द्वारा व्यक्त नहीं कर सकता / * किसी स्वजन की मृत्यु की पीड़ा से होने वाले आघात का अनुभव होने पर भी उस पीड़ा की अभिव्यक्ति वाणी के द्वारा नहीं हो सकती है / * रोड़पति | भिखारी को अचानक करोड़ रुपये मिल जायें तो उसे जिस आनंद का अनुभव होता है, उसे वह शब्दों द्वारा अभिव्यक्त नहीं कर पाता है। * काष्ठ में अग्नि, घास में दूध, दूध में घी का अस्तित्व होने पर भी वह हमें दिखाई नहीं देता है, इतने मात्र से उसके अस्तित्व का हम निषेध नहीं कर सकते / * तार Wire में विद्युत् प्रवाह Electricity बहते हुए भी हम उसे अपनी आँखों से देख नहीं सकते, परंतु इतने मात्र से हम उसके अस्तित्व का अस्वीकार नहीं कर सकते / * वृक्ष का मूल और बहता हुआ पवन हमें दिखाई नहीं देता है, फिर भी हम उसके अस्तित्व का निषेध नहीं करते / कर्मग्रंथ (भाग-1) MARA 46
SR No.035320
Book TitleKarmgranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2019
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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