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________________ अंधकार, प्रकाश का प्रतिपक्षी है / अंधकार में वस्तुएँ दिखती नहीं हैं, क्योंकि वे वस्तुएँ अंधकार के पुद्गलों से आच्छादित हो जाती हैं / सूर्य, अग्नि व दीपक आदि की किरणें जब वस्तु पर गिरती हैं, तब अंधकार के पुद्गल उस वस्तु को ढकने में असमर्थ हो जाते हैं, अतः प्रकाश में वस्तुएँ स्पष्ट दिखती हैं / विज्ञान भी कहता है-'अंधकार में भी ताप किरणें होती हैं, परंतु वे इतने अधिक सूक्ष्म होते हैं कि हमारी आँखें उन्हें पकड नहीं पाती हैं, जबकि उल्लू व बिल्ली की आँखें व फोटोग्राफी प्लेटस् उन ताप किरणों को पकड़ लेती हैं। प्रकाश व अंधकार की तरह छाया या प्रतिबिंब भी पुद्गल स्वरूप है / छाया शीतस्पर्शी होती है / गर्मी के दिनों में वृक्ष की छाया के नीचे हमें शीतलता का अनुभव होता है / जैन दर्शन की मान्यतानुसार बादर परिणामी पुद्गल-स्कंधों में से प्रति समय जल के फव्वारे की तरह आठस्पर्शी पुद्गल स्कंध बाहर निकलते रहते हैं और नए आते रहते हैं / पुद्गलों का चय-अपचय (आवागमन) चालू रहता है / यह आवागमन इतना अधिक सूक्ष्म होता है कि अपनी आँखों द्वारा हम उन्हें देख नहीं सकते हैं | फिर भी वैज्ञानिक प्रयोग द्वारा जब वे छाया-पुद्गल पिंडीभूत हो जाते हैं, तब उन्हें अपनी आँखों द्वारा देख सकते हैं / टी.वी. पर आनेवाले चित्रों से यह बात सिद्ध हो जाती है / ___ प्रत्येक पदार्थ व प्राणी के शरीर में से पुद्गल स्कंध का समूह बहता रहता है, जो विविध गुण धर्मवाला होता है / नीम जैसे कुछ वृक्षों से निकलने वाले पुद्गल स्कंध रोगी व्यक्ति को भी स्वस्थ बना देते हैं, जबकि इमली के वृक्ष में से निकलनेवाला पुद्गल समूह स्वस्थ व्यक्ति को भी रोगी बना देता है। आयुर्वेद में कुछ रोगों को छूत की बीमारी कहा जाता है / रोगी व्यक्ति के शरीर में से निकलने वाला द्रव्य, स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमार कर देता है / कर्मग्रंथ (भाग-1)) = 41
SR No.035320
Book TitleKarmgranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2019
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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