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________________ प्रश्न : ध्वनि तरंगे दिखाई नहीं देती हैं तो फिर प्राणियों के शरीर में प्रवेशकर हानिकारक कैसे हो सकती हैं ? उत्तर : अणुबम के स्फोट से युरेनियम व प्लुटोनियम धातुओं के अणुओं का स्फोट होने से उसमें से किरणोत्सर्ग होता है, उस किरणोत्सर्ग का शरीर में प्रवेश होने के साथ ही शरीर के कोशों का विसर्जन होने लगता है, जिससे तत्क्षण व्यक्ति की मौत हो जाती है / ध्वनि तरंगों के स्पर्श से भयंकर नुकसान की तरह लाभ भी होता है / वनस्पति पर ध्वनितरंगों का अच्छा प्रभाव गिरता है / ध्वनि के स्पर्श से वृक्ष फलने-फूलने लगते हैं / केनेडा में गेहूँ के खेतों में सूर्योदय समय लाउड स्पीकर द्वारा संगीत छेडा गया, उस संगीत से वे पौधे शीघ्र विकसित हुए / अन्नामलाई युनिवर्सिटी में कुछ वृक्ष-पौधों को प्रतिदिन सुबह-शाम वायोलिन व सितार का संगीत सुनाया गया व कुछ पौधों को ऐसे ही रखा गया / जिन पौधों को संगीत सुनाया गया वे पौधे अधिक विकसित होते दिखाई दिए / अश्राव्य ध्वनि द्वारा नींबू के वृक्ष के असाध्य रोग को दूर किया गया / मनुष्य शरीर में रहे कई रोगों को ध्वनि द्वारा दूर किया जा सकता है | अमेरिका में ई.स. 1950 में अल्ट्रासोनिक ध्वनि द्वारा डॉ. एल्डस ने 3000 दर्दियों का इलाज किया था / 53 वर्षीय एक वृद्धा का हाथ आर्थराइटीस से पीड़ित था, परंतु अल्ट्रासोनिक द्वारा उसके दर्द को मिटा दिया गया / जैन दर्शन शब्द की भाँति अंधकार को भी पुद्गल स्वरूप मानता है / कहा है 'कृष्णवर्णबहुलः पुद्गलपरिणामविशेषः तमः' अर्थात् श्याम रंग की जिसमें बहुलता-प्रधानता है, ऐसे पुद्गल के परिणाम विशेष को ही अंधकार कहते हैं। कर्मग्रंथ (भाग-1) 40
SR No.035320
Book TitleKarmgranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2019
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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