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________________ - पाँच, तीन, पाँच, पाँच, छह, छह, पाँच, दो, पाँच, आठ, चार और दो भेद होते हैं, इन सब भेदों को जोड़ने पर कुल पैंसठ भेद होते हैं | विवेचन पिंड प्रकृति के 14 भेदों की उत्तर प्रकृतियों की संख्या का निर्देश इस गाथा में बताया गया है 1. गति नाम कर्म 2. जाति नाम कर्म 5 भेद शरीर नाम कर्म 5 भेद अंगोपांग नाम कर्म बंधन नाम कर्म संघातन नाम कर्म संघयण नाम कर्म 6 भेद 8. संस्थान नाम कर्म 6 भेद वर्ण नामं कर्म 10. गंध नाम कर्म 2 भेद 11. रस नाम कर्म 12. स्पर्श नाम कर्म 13. आनुपूर्वी नाम कर्म 4 भेद 14. विहायोगति नाम कर्म 2 भेद कुल 65 भेद हुए। अडवीस जुआ तिनवइ, संते वा पनरबंधणे तिसयं / बंधण संघायगहो, तणूसु सामण्ण-वण्णचउ ||31 / / mu Nu 0 0 ज ज शब्दार्थ अडवीस अट्ठाईस, जुआ युक्त, तिनवइ-तेरानवै, संते सत्ता में, वा=अथवा, पनर पंद्रह, बंधणे बंधन, तिसयं एक सौ तीन, बंधण=बंधन, कर्मग्रंथ (भाग-1) 161 रा
SR No.035320
Book TitleKarmgranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2019
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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