________________ रोहक की चतुराई / ..................... / उज्जयिनी नगरी से कुछ दूरी पर एक छोटा सा गाँव था, जहाँ नट लोग रहते थे / वहाँ भरत नाम का एक नट था, जिसके पुत्र का नाम रोहक था / रोहक उम्र में छोटा था, लेकिन बुद्धि का बेताज बादशाह था | एक बार रोहक अपने पिता के साथ क्षिप्रा नदी के तट पर गया / पिता ने कहा, 'बेटा ! त यहीं पर खेलना, मैं नगर में जाकर कुछ काम निपटाकर आता हूँ / ' रोहक नदी तट पर खेल रहा था / अचानक उसे एक कुतूहल जगा और उसने नदी के तट पर उज्जयिनी नगरी का नकशा तैयार कर दिया / उसी समय उज्जयिनी नगरी का राजा घोडे पर सवार होकर उसी मार्ग से जा रहा था / ___वह राजा जैसे ही उस नकशे के पास आया., उस रोहक ने राजा को रोक लिया और बोला, 'यहाँ उज्जयिनी नगरी है...यह राजा का महल है...आप अपने घोड़े को दूर से ले जाओ / ' बालक के इस कथन को सुनकर राजा को खूब आश्चर्य हुआ / एक छोटे से बालक की यह कैसी चतुराई...और यह कैसी हिंमत ! राजा ने सोचा, 'यह बालक बुद्धिशाळी लगता है, अतः मेरे मंत्री पद के लिए योग्य है...फिर भी इसकी मुझे विशेष परीक्षा करनी चाहिए / ' वह राजा वहाँ से आगे बढ़ा और अपने राजमहल में चला गया / राजमहल में पहुँचने के बाद राजा ने उन ग्रामवासियों को कुछ आज्ञाएँ फरमाईं / राजा की उन आज्ञाओं को सुनकर गाँववाले चिंतातुर हो गए / वे आज्ञाएँ ऐसी थीं कि उनका पालन करना, उनके लिए कठिन था / दूसरी ओर राजा की आज्ञा का भंग करने की भी उनमें हिंमत नहीं थी / अब क्या किया जाय ? कर्मग्रंथ (भाग-1) E4102