SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गर्न सहरण : शक की विचारणा पुरंदरे सतक्कतू सहस्सक्खे मघवं पाकसासणे दाहिणलोगाहिबई बत्तीसविमाणसयसहस्साहिवई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंबरवत्थधरे आलइयमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुडलविलिहिज्जमाणगंडे भासुरबोंदी पलंबवणमालधरे सोहम्मकप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सुहम्माए सभाए सक्कंसि सीहासणंसि निसण्णे ॥१३॥ ___ अर्थ-उस काल उस समय शक्र, देवेन्द्र, देवराज, वज्रपाणि, परंदर, शतक्रतु, सहस्राक्ष, मघवान्, पाकशासन, दक्षिणार्धलोकाधिपति, बत्तीस लाख विमानों का स्वामी, ऐरावत नामक हाथी पर बैठने वाला सुरेन्द्र, रज रहित श्रेष्ठ-उत्तम वस्त्रों को धारण करने वाला, माला और मुकुट से सुललित शरीर वाला जिसके कोमल कपोल नवनिर्मित सुन्दर चंचल चित्र-विचित्र एवं चलायमान स्वर्णमय कुण्डल युगल की प्रभा से प्रदीप्त हैं । जो विराट् ऋद्धि व द्युति को धारण करने वाला है, महाबली महायशस्वी है, जिसके गले में लटकती हुई सुन्दर वन माला है, जो सौधर्म देवलोक के सौधर्मावतंसक विमान की सुधर्मा सभा में शक नामक सिंहासन पर बैठा है। विवेचन-भारतीय साहित्य में इन्द्र के सहस्र नाम प्रसिद्ध हैं। जैन, बौद्ध और वैदिक इन तीनों ही परम्पराओं में इन्द्र के सम्बन्ध में चर्चाएँ हैं । प्रस्तुत सूत्र में इन्द्र के अनेक नामों में से कुछ विशिष्ट नामों का उल्लेख यहाँ पर हुआ है। शक्र नामक सिंहासन पर बैठने के कारण या सामर्थ्यवान होने से वह शक्र कहलाता है । देवताओं के मध्य परम ऐश्वर्ययुक्त होने के कारण वह इन्द्र के नाम से पहचाना जाता है। देवताओं का राजा होने से देवराज है। हाथ में वज्र नामक शस्त्र को धारण करने से वज-पाणि है। शत्रुओं के नगरों (पुरों) को नष्ट करने के कारण वह पुरन्दर है। कार्तिक श्रेष्ठी के भव में सौ बार श्रावक की पांचवी प्रतिमा अर्थात् अभिग्रह विशेष को धारण करने के कारण वह शतक्रतु कहलाता है । वैदिक परम्परा के अनुसार शतक्रतु का अर्थ सौ यज्ञ करने वाला होता है। सुधर्म देव लोक का इन्द्र पूर्वभव में पृथ्वी भूषण नगर में कार्तिक नामक
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy