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समान मनोवांछित ऋद्धि, समृद्धि और आत्म-सुख का प्रदाता है । २ जो मानव जिनशासन की प्रभावना करता हुआ, जिन धर्म पर दृढ-निष्ठा रखता हुआ, एकाग्रचित्त से कल्पसत्र का श्रवण और पठन करता है वह शीघ्र ही ससार सागर से पार हो जाता है। 3 महापुरुषों के गुणानुवाद करने से कर्मों की निर्जरा होती है। सम्यग्दर्शन की विशद्धि होती है । ४ सम्यग्दर्शन, सम्यग् ज्ञान और सम्यक् चारित्र का लाभ होता है । तथा इनके लाभ से जीव सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होता है । ५
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