SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 458
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६० ) १० वंश ११ पणव १२ शंख -वृहत्कल्पभाष्यपीठिका २४ वृत्ति ४३ किणित ४४ कडंब ४५ दर्बरिका-गोहिया ४६ दर्वरक ४७ कलशी ४८ मडक ४६ तल ५० ताल ५१ कांस्यताल ५२ रिगिसिया ५३ लत्तिया ५४ मगरिका ५५ सुसुमारिया ५६ वंश ५७ वेणु ५८ वाली ५६ परिल्ली ६० बद्धगा -राजप्रश्नीय सूत्र ६४ संगीत गीत के तीन प्रकार हैं:-- १ प्रारंभ में मृदु २ मध्य में तेज ३ अन्त में मन्द --स्थानाङ्ग ७, उ०३ -अनुयोगद्वार गीत के दोष १ भीतं-भयभीत मानस से गाया जाय, २ द्रुतं-बहुत-शीघ्र-शीघ्र गाया जाय ३ अपित्यं-श्वास युक्त शीघ्र गाया जाय __ अथवा ह्रस्व स्वर लघु स्वर से ही गाया जाय। ४ उत्तालं- अति उत्ताल स्वर से व अव स्थान ताल से गाया जाय , ५ काकस्वरं-कौए की तरह कर्ण-कट शब्दों से गाया जाय। ६ अनुनासिकम्-अनुनामिका से गाया जाय । १ भमा २ मुकुन्द ३ मद्दल ४ कडंब ५ मल्लरि -अनुयोगद्वार ७ कांस्यताल ८ काहल ६ तलिमा __गीत के आठ गुण:१ पूर्ण-स्वर, लय और कला से युक्त गाया जाय। २ रक्तं-पूर्ण तल्लीन होकर गाया जाय ।
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy