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________________ ५१ ७४. (क) गुर्वावली-मुनि रत्न सूरि (ख) उवसग्गहरं धुत्तं, काऊणं जेण संघकल्लाणं । ___ करुणापरेण विहियं, स भद्दबाहू गुरु जयउ ॥१॥ -कल्पसूत्र कल्पार्थ बोधिनी टीका मे उदवत १० २०८ ७५. मुनि कल्याणविजय जो उपलब्ध भद्रबाहु संहिता को सत्तरहवी शताब्दी की कृति मानते हैं। -निबन्ध निचय पृ० २६७ ७६. आवश्यक धूणि भाग २, पृ० १८७ ७७. (म) तित्थोगा लिय ८०११२ । (ख) त्रिषष्टि० परिशिष्ट पर्व, सगं ६ (ग) वीर निर्वाण संवत् और जैन काल गणना पृ० ६४ ७८. कौशाम्बी शाखा की उत्पत्ति कोशाम्बिका नगरी से हुई है। कौशाम्बिका नगरी वर्तमान मे 'कोसम' नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान इलाहाबाद से दक्षिण और पश्चिम मे ३१ मील पर अवस्थित है और जहानपुर से दक्षिण मे १२ मील पर है । ७६. शुक्तिमतीया शाखा की उत्पत्ति शुक्तिमती नगर से हुई है । शुक्तिमती दक्षिण मालव प्रान्त की एक प्रसिद्ध नगरी थी। ८०. कौडम्बाण शाखा को उत्पत्ति किस स्थान से हुई है इसका सही पता नही लगा है। पुरातत्त्ववेता श्री कल्याणविजय गणि के अभिमतानुसार यह स्थान युक्त प्रदेश में कही होना चाहिए। ८१. चन्द्रनागरी शाखा की उत्पत्ति चन्द्रनगर से हुई है। चन्द्रनगर सेबडाफुली जंक्शन से ७ मोल उत्तर चन्द्रनगर का रेलवे स्टेशन है और हुगली रेलवे स्टेशन से ३ मील दक्षिण मे है । ८२. (क) कल्याणविजय गणि के मतानुसार स्यूलिभद्र का स्वर्गवास २१५ में नही, पर २२१ से भी बहुत पीछे हुमा है । तथ्यो के लिए देखिए -पट्टावली पराग० पृ० ५१ (ख) वीर निर्वाण संवत् और जैन काल गणना पृ० ६२ टिप्पणी ८३. वृहत्कल्प भाष्य ११५० गा० ३२७५ से ३२८६ ८४. जैन परंपरानो इतिहास भा० १ पृ० १७५-१७६ ८५. उदुम्बरीया-शाखा की उत्पत्ति उदुम्बरीया नगर से हुई थी। उदुम्बरीया का वर्तमान मे नाम . 'डोमरिया गञ्ज है। यह रापती नदी के दाहिने तट पर अवस्थित है। ८६. 'मासपुरीया' शाखा की उत्पत्ति वर्त देश को राजधानो 'मासपुरी' से हुई थी। ८७. चम्पीया शाखा की उत्पत्ति अंग देश की राजधानी चम्पा से हुई थी। ८८. भद्रीया शाखा की उतात्ति मलय देश की गजधानी भद्रिया से हुई थी। ८९. काकन्दीया शाखा की उत्पत्ति विदेह देश मे अवस्थित काकन्दी नगरी से हुई थी। ६०. मिथिला शाखा की उत्पत्ति विदेह की राजधानी मिथिला से हुई थी। ६१. उडुवाडिय (ऋतुवाटिका) शाखा की उत्पत्ति 'उडुवाडिय' स्थान से हुई है जो आजकल 'उलवडिया; नाम से प्रसिद्ध है। यह स्थान कलकत्ता से १५ मील दक्षिण भागीरथी गंगा के बायें किनारे पर हावड़ा जिले में है।
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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