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________________ ३०० रज्जपालिया (राज्यपालिता ) (३) अन्तरिज्जिया ( अन्तरंजिया ) ( ४ ) खेमलिज्जिया ( क्षौमिलीया ) " ये चार शाखाएं हैं । कुल कौनसे कौनसे हैं ? प्रश्न_वे उत्तर- वे कुल इस प्रकार हैं (१) गणिय ( गणिक) (२) मेहिय (मेधिक) (३) कामड्डअ ( कामर्द्धिक) ( ४ ) और इन्दपुरग ( इन्द्रपुरक) । deवाडियगण ( वंशवाटिक) के ये चार कुल हैं । मूल : थेरेर्हितो णं इसिगोतर्हितो णं काकंदएहिंतो वासिद्वसगोतहिंतो एत्थ णं माणवगणे नामं गणे निग्गए । तरस णं इमाओ चत्तारि साहाओ तिष्णि य कुलाई एवमा हिज्जंति । से किं तं साहाओ ? सहाओ एवमाहिज्जेति - कासविज्जिया, गोयमिज्जिया वासिट्टिया सोरडिया, से त्तं साहाओ । से किं तं कुलाई ? कुलाई एवमाहिज्जंति, तं जहा इसिगोत्तियत्थपढमं, बिइयं इसिदत्तियं मुणेयव्वं । तइयं च अभिजसंतं, " तिन्नि कुला माणवगणस्स ॥ १ ॥ २१५ ॥ अर्थ - वासिष्ठगोत्री और काकंदक ईसिगुप्त (ऋषिगुप्त ) स्थविर से माणवगण (मानवगण) नामक गण निकला, उनकी चार शाखाएँ और तीन कुल इस प्रकार हैं । प्रश्न - वे शाखाएं कौन सो कौनसी हैं ? उत्तर - वे शाखाएँ इस प्रकार हैं - ( 1 ) कासविज्जिया ( काश्यपीया ) (२) गोयमिज्जिया ( गौतमीया), (३) वासिट्टिया ( वासिष्ठीया), (४) सौरट्ठीया ( सौराष्ट्रीया) ये चार शाखाएँ हैं । 'अमित' इति कल्याणविजयः । - पट्टावली परागे
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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