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स्थविरावली -. गणधर चरित्र मूल :
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा एकारस गणहरा होत्था ॥२०१॥
अर्थ-उस काल उस समय श्रमण भगवान महावीर के नौ गण और ग्यारह गणधर थे। मूल :
से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-समणरस भगवओ महावीरस्स नव गणा एकारस गणहरा होत्था ? ।
समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे इंदभूई अणगारे गोयमे गोत्तणं पंच समणसयाइं वातेइ, मज्झिमे अणगारे अग्गिभूई नामेणं गोयमे गोत्तेणं पंच समणसयाइं वाएइ, कणीयसे अणगारे वाउभूई नामेणं गोयमे गोत्तेणं पंच समणसयाइं वाएइ, थेरे अज्जवियत्ते भारदाये गोत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अजसुहम्मे अग्गिवेसायणे गोत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे मंडियपुत्ते वासिह गोत्तेणं अद्भुढाई समणसयाई वाएइ, थेरे मोरियपुत्ते कासवगोत्तेणं अद्भुहाइं समणसयाई वाएइ, थेरे अकंपिए गोयमे गोत्तेणं, थेरे अयलभाया हारियायणे गोत्तेणं ते दुनि