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________________ साधना काल : लाइ प्रदेश में १६८ कर बाहर धकेल दिया। वह सर्दी में ठिठुरने लगा, बोला-"इस ससार में सच बोल कर विपत्ति मोल लेना है ।' लोगों ने देवार्य का शिष्य समझकर पुनः भीतर बुलाया, मगर वह तो अपनी आदत से लाचार था, पहले युवकों ने पीटा, फिर वृद्धों ने उसकी बातें अनसुनी करके खूब जोर से बाजे बजाने के लिए कहा। प्रातः भगवान वहां से विहार कर श्रावस्ती पधारे । श्रावस्ती में शिवदत्त ब्राह्मण की पत्नी ने मृत बालक के रुधिर मांस से खीर बनाई और वह गोशालक को दी। गोशालक ने खाई, प्रभु ने रहस्योद्घाटन किया। गोशालक ने वमन किया, वही सब चीजें देखकर उसे नियतिवाद पद दृढ विश्वास हो गया। ___ श्रावस्ती से विहार कर "हलिद्दुग" गाँव पधारे। गांव के समीप ही एक "हलिदुग" नामक विराट् वृक्ष था । भगवान् ने ध्यान हेतु उपयुक्त स्थल समझ का वहीं अवस्थिति की। अन्य अनेक पथिकों ने भी रात्रि में वहाँ विश्राम लिया। उन्होंने सर्दी से बचने के लिए अग्नि जलाई। उन पथिकों ने सूर्योदय के पूर्व ही वहाँ से आगे प्रस्थान कर दिया। वह अग्नि धीरे-धीरे ध्यानस्थ महावीर के निकट तक आ पहुँची। गोशालक ने ज्यों ही आग की लपलपाती लपटों को अपनी ओर आते हुए देखा त्यों ही वहां से भाग छूटा। परन्तु महावीर अपने ध्यान में मग्न थे। ज्वाला आगे बढ़ी, महावीर के पैर उस ज्वाला की लपट से झुलस गये, तथापि वे ध्यान से विचलित नही हुए । २५” मध्याह्न में वहाँ से आगे प्रयाण किया। 'नंगला' होते हुए "आवर्त" पधारे और क्रमशः वासुदेव तथा बलदेव के मन्दिरों में ध्यान किया। इस प्रकार अन्य अनेक क्षेत्रों को पाद-पदों से पवित्र करते हुए भगवान् 'चोराक सन्निवेश' पधारे। यहाँ गोशालक को गुप्तचर समझकर बहुत पीटा गया ।२६. वहां से भगवान 'कलंबुका' सन्निवेश को जा रहे थे कि मार्ग से वहाँ के अधिकारी कालहस्ती तस्करों का पीछा करते हुए उधर से निकले तो मार्ग में भगवान महावीर और गोशालक मिले। उन्होंने परिचय पूछा, परन्तु महावीर मौन थे और कुतूहल देखने के लिए गोशालक भी चुप रहा। दोनो को तस्कर समझकर उन्होंने अनेक यातनाएँ दी। तथापि मौन भंग नही किया। आखिर रस्सियों से जकड़ कर उन्हें अपने ज्येष्ठ भ्राता मेघ के पास भेज दिया।
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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