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________________ १३१ प्राचीन ज्योतिष सम्बन्धी मान्यता के अनुसार जिसके जन्म समय में तीन ग्रह उच्च होते हैं वह राजा होता है। पांच ग्रह उच्च होने पर अधं चक्रवर्ती होता है, छह ग्रह उच्च स्थान में हो तो चक्रवर्ती होता है और सात ग्रह उच्च होने पर तीर्थकर बनता है। भगवान महावीर के जन्म लेने से केवल क्षत्रियकुण्डपुर ही नहीं, अपितु क्षण भर के लिए समस्त संसार लोकोत्तर प्रकाश से प्रकाशित हो गया। राजा सिद्धार्थ ने ही नहीं, संसार भर के प्राणिगण ने अनिर्वचनीय आनन्द का अनुभव किया । तीर्थकर का धरा पर जन्म धारण करना अध्यात्म, धर्म और ज्ञान के महाप्रकाश का साक्षात् रूप में अवतरण है। उनके उपदेश व ज्ञान से सिर्फ मनुष्यलोक ही नहीं, बल्कि तीनों लोक प्रकाशमान हो जाते हैं। इसी दृष्टि से तीर्थंकर के जन्म समय में, दीक्षा एवं केवल ज्ञानोत्पत्ति के समय में तीनों लोक में अपूर्व उद्योत होने की बात आगम में आई है।'६५ -. जन्म महोत्सव मल: जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाए साणं रयणी बहूहिं देवेहि य देवीहि य उवयंतेहि य उप्पयंतेहि य उप्पिंजलमाणभूया कहकहभूया यावि होत्था ॥१४॥ ___ अर्थ-जिस रात्रि में श्रमण भगवान् महावीर ने जन्म ग्रहण किया उस रात्रि में बहुत से देव और देवियों के ऊपर-नीचे आवागमन से लोक में एक हलचल मच गई और सर्वत्र कल-कलनाद व्याप्त हो गया । विवेचन-भगवान का जन्मोत्सव करने के लिए छप्पन दिक्कुमारिकाएँ आई। दिक्कुमारिकाओं के नाम इस प्रकार हैं (१) भोगंकरा, (२) भोगवती, (३) सुभोगा, (४) भोगमालिनी, (५) सुवत्सा, (६) वत्समित्रा, (७) पुष्पमाला, (८) अनिन्दिता। ये आठों दिक्कुमारियाँ अधोलोक में रहती हैं। उन्होंने आकर नमस्कार कर
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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