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________________ . विक्रम संवत् असभव है। फ्लीट नामक दूसरे विद्वान् का मत है कि प्रख्यात राजा कनिष्क ने विक्रम स० की स्थापना की । परंतु कनिष्क का समय सन् ७८ के लगभग था यह बात अब सिद्ध हो जाने के कारण उपर्युक्त मत अग्राह्य हो गया है। वि० सं० का प्रारभ कार्तिक मास में होता है, और उसी समय युद्धयात्रा प्रारभ कर विक्रम अर्थात् पराक्रम करने की भी सधि मिलती है, अतएव ऋतुवैशिष्ट्य के कारण इस संवत् को वि० स० कहा गया,-किसी राजा के नाम-विशेष का उससे कोई संबंध नहीं-ऐसा कीलहान का मत है। परंतु संवत् का नाम करण किसी ऋतु के नाम के आधार पर होने का उदाहरण इतिहास में नहीं मिलता, इसलिये इस मत को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। विक्रम संवत् नाम कब रूद हुमा ? विक्रमादित्य राजा ने विक्रम संवत् प्रस्थापित किया ऐसा स्वाभाविक अनुमान कोई भी कर सकता है, पर सच यह है कि शालिवाहन शक और विक्रम संवत् की आर भिक शताब्दियों के प्राचीन शिलालेखों में न तो शालिवाहन का नाम मिलता है और न विक्रम का । ग्यारहवीं और बारहवीं शताब्दि से इस संवत् को इस प्रकार उल्लेखित किया गया है-'विक्रमनपकालातीत संवत्सर' (वि. स. ११९५ का लेख ), 'श्रीविक्रमादित्योत्पादित संवत्सर' (वि० स० ११७६ का लेख ), 'श्रीविक्रमानपकालातीतसवत्सराणाम्' (वि० स० ११६१ का लेख ), 'विक्रमादित्यकाले' (वि० सं० १०९९ का लेख), 'विक्रमादित्यभूभृतः काले' (वि० सं० १०२८ का लेख), 'कालस्य विक्रमाख्यस्य' (वि० स०८९८ का लेख ), इत्यादि। अतएव यह बात स्पष्ट हो जाती है कि ई० सन् की * ज• रॉ० ए० सा. १९३३, कनिष्क का विवरण और चर्चा | + इडियन एटिक्वेरी १८९१, पृ. ४०३-०४ । + ऐपिग्राफिया इंडिका (भाग १९-२३) में डा. देवदत्त भांडारकर ने प्राचीन लेखों की सूची संवत् के क्रमानुसार दी है, उसमें ये सब लेख और इस लेख में उद्धत अन्य लेख भी देखे जा सकते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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