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________________ __ भारत और अन्य देशों का पारस्परिक सबंध २३१ वहाँ सौराष्ट्र के लोग गए, पर सर्वप्रथम उपनिवेश कलिंगवालों ने ही बसाए । ६०३ ई० में प्रभुजयभय के छठे उत्तराधिकारी ने पाँच सहस्र अनुयायियों के साथ छः बड़े जहाजों और सौ छोटे जहाजों में जावा की ओर प्रस्थान किया। शीघ्र ही दो सहस्र स्त्री-पुरुष तथा बच्चे और जावा पहुँचे। इन अनुश्रुतियों के अनुसार छठी शताब्दि तक जावा में निश्चित रूप से हिंदू राज्य स्थापित हो चुका था। इसकी सूचना जावा में प्राप्त शिलालेखों से भी मिलती है। जावा का ww UUUN प्राचीन धर्म हिंदूधर्म था। फाहियान का विवरण इसकी पुष्टि करता है, किंतु फाहियान के कुछ ही समय पश्चात् बौद्धधर्म का इतना उत्कर्ष हुआ कि हिंदूधर्मानुयायियों की संख्या अत्यल्प रह गई। जावा में बौद्धधर्म का सर्व प्रथम उपदेष्टा गुणवर्मा था। बालि-जावा से डेढ़ मील पूर्व की ओर एक छोटा सा द्वीप है, जिसे बालि कहते हैं। संसार भर में भारत को छोड़कर एक मात्र यही द्वीप है जहाँ के निवासी अपनी मातृभूमि से सहस्रों मील दूर रहते हुए अपनी प्राचीन संस्कृति को.आज भी स्थिर रखे हुए हैं। यही एक स्थान है जहाँ के मंदिर और प्रतिमाएँ अखंडित रूप में विद्यमान हैं। बालि से कोई प्राचीन लेख अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ। चीनी विवरणों के अनुसार ७वीं शताब्दि तक बालि में हिंदू राज्य की स्थापना निश्चित रूप से हो चुकी थी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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