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________________ नागरीप्रचारिणी पत्रिका वस्त्रापद का वर्णन है। यहाँ पांडव मलदा, पंचनद देश से होते हुए पहुँचे थे (वही ८०, १०५)। यह वस्त्रापद प्रभासखंड में काठियावाड़ में गिरनार पर्वत के आस-पास कहा गया है (इं० ए०, जिल्द ४,२३८-४४)। पह्नव-(४८।१४) इनका संबंध वस्त्रपों से स्थापित किया है, और यदि वस्त्रप गिरनार के पास रहते थे तो हमें काठियावाड़ में जूनागढ़ रियासत में एक प्राचीन ईरानी उपनिवेश की खोज करनी होगी। यह आश्चर्य को बात नहीं है कि अशोक के समय में राजा तुषास्फ, जो एक ईरानी था, काठियावाड़ का शासक था ( ए० ई०, जिल्द ८,४६-४७)। महाक्षत्रप रुद्रदामन के समय सुविशाख नाम का ईरानी आनत तथा सुराष्ट्र का शासक था। प्रो० जाल शातियर ने यह बात बतलाई है ( ज० रा० ए० सो०, १९२८ )। स्कंदगुप्त के गिरनार के अभिलेख में जूनागढ़ के शासक पर्णदत्त और चक्रपालित ईरानी थे। वसाति-(४८.१४ ) इनका संबंध मौलेयों से था, जिनका स्थान शायद कलात रियासत के मालावन जिले की मूलाघाटो में था। वसाती लोगों की पहचान एरियन को (६, १५) ओस्लादिओइ से की जा सकती है, जो सिकंदर की शरण में उस समय आए जब वह चिनाब और झेलम के संगम पर खेमा डाले पड़ा था। वसातियों की भौगोलिक स्थिति पर काफी बहस हुई है। जैसा वसातियों के विषय में कहा गया है, अगर यह पहचान ठीक है तो वसातियों का देश मूरा दरें के उत्तर शिबि प्रदेश में रहा होगा। यह प्रदेश गजनी के साम्राज्य में बहुत दिनों तक था तथा इसका संबंध मुलतान से काफी था। मुलतान के वसाति सिकंदर को शरण में आए। मुलतान के आसपास क्षुद्रक-मालवों का राज्य था और यह कहा जा सकता है कि क्षुद्रक-मालवों के पराजित होने पर वसातियों ने भी अपनी हार मान ली। मौलेय (४८।१४)-मौलेयों का आदिम स्थान बलूचिस्तान के मूल दरे के आस-पास तथा मूल नदी की घाटी में रहा होगा। मूल दर्रा प्राचीन काल में एक बड़ा चलता हुआ रास्ता था (होल्डिश, गेट्स ऑव इंडिया)। क्षुद्रक-मालव-(४८.१४) इनका संबंध वसातियों तथा मौलेयों से है। संस्कृत साहित्य में क्षुद्रक-मालव द्वंद्व रूप में आए हैं। महाभाष्य Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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