SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८२ नागरीप्रचारिणी पत्रिका तथा चितराल के लोगे के पूर्वी पड़ोसी उन्हें पोरे और इस प्रदेश का नाम पोरियाकी कहते हैं (बिडुल्फ, वही पृ०५६)। हंसकायन-(४८।१३ ) इनका संबध यासीन के पौरकों से है। सभवतः हंसकायनों का प्रदेश दुजा और नगर था। शिषि-(४८।१३) शिबिपुर का उल्लेख ४८३ ई० के शोरकोट के एक लेख में हुआ है ( एपि० ई० १६, १)। शोरकोट का टीला शायद प्राचीन शिबियों की राजधानी का द्योतक है। शिवि लोगों के सिक्के भी चित्तौर के पास नगरी से पाए गए हैं (आ० स० रि० १९१५-१६, भाग १, पृ० १५)। शिबि देश के ऊनी कपड़े का नाम शिवेष्यक दुस्स था; उसका उल्लेख महावग्ग (८, १, २९) में मिलता है। त्रिगर्त-(४८।१३) प्राचीन त्रिगत रावी तथा सतलज के बीच में जलंधर के आसपास था । आधुनिक काँगड़ा जिला प्राचीन त्रिगर्त का सूचक है। यौधेय-(४८।१३) यौधेयों के देश की सीमा उनके सिकों से निश्चित की जा सकती है। इनसे पता चलता है कि यौधेयों का देश लगभग पूरा पंजाब था ( एलन, वही, १५१)। राजन्य-(४८.१३ ) ग़जन्यों के भी दूसरी तथा' पहली शताब्दी ई० पू० के सिक्के मिले हैं ( एलन ७०३)। इनके अधिकतर सिक्के होशियारपुर जिले से मिले हैं और राजन्यगण की स्थिति संभवतः वहीं होनी चाहिए। मद्र-(४८।१३) वैदिक काल में मद्रों का बहुत ऊँचा स्थान था ( वैदिक इंडेक्स, जिल्द २, पृ० १०३)। मद्रों की राजधानी शाकल थी (जातक, फॉसबाल ४, पृ० २३० आदि) जो आधुनिक स्यालकोट है। चंद्रवृत्ति के अनुसार (२,४,१०३) मद्र या मद्रक शाल्व संघ के एक अंग थे। प्रिजलस्की ने इन्हें ईरानी नस्ल का माना है (जू० ए० १९३९,११३ ) । इसकी कुछ पुष्टि महाभारत से भी होती है। उद्योगपर्व (८,३,४) में मद्रवीरों को विचित्र कवच, विचित्र ध्वज-कामुक तथा विचित्र आभरण, एवं विचित्र रथयान पर चलते हुए बताया है। उनका वस्त्राभूषण भी उनके स्वदेश के अनुसार था। लगता है कि उनके वस्त्राभूषणों में कुछ ऐसी विचित्रता थी जिसकी और महाभारतकार का ध्यान गया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy