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________________ उपायनपर्व का एक अध्ययन १५३ a 1 यू-शी के राजनीतिक अधिकार में थे तथा पूर्व की ओर ह्यूगन्नू के । शकों का, यदि हम उन्हें ता-युवान या फर्मना के इलाके में स्थित मानें, तथा कंकों का संबंध स्थापित हो जाता है, क्योंकि दोनों का देश सटा हुआ है । तुखार जो यू-शी के अंग थे, शायद कुछ और दक्खिन में रहते थे । यदि ऐसी बात है, तो स्पष्ट है कि महाभारत में शक, तुखार और कंकों का क्रम, जैसा कि दूसरी श० ई० पू० में था, ठीक ठीक दिया हुआ है । यह मार्के की बात है कि इस तालिका में ऋषिक नहीं आए हैं। इससे यही नतीजा निकल सकता है कि १६० ई० पू० में अपनी हार के बाद वे और पश्चिम की ओर खसक गए थे यू-शी के पश्चिम को खसकने के बाद प्रतीत होता है कि तुखार हरौल में आगे भेजे गए । इसलिये महाभारत के उन श्लोकों में जिस स्थिति का वर्णन है वह स्थिति १६० और १२८ ई० पू० के बीच में रही होगी। महाभारत में एक दूसरा प्रकरण भी है, जिससे पता चलता है कि शायद उसका रचना-काल द्वि० श० ई० पू० हो । सहदेव के दिग्विजय ( सभा० २८|४९ ) में दिया हुआ है कि दक्षिण- विजय के अनंतर उसने अंताखी ( अंतियोख ), रोम ( रोमा ) तथा अलेक्जंडरिया में अपने दूत भेजे 1 अंतियोख की स्थापना सिल्यूकस प्रथम द्वारा लगभग ३०० ई० पू० में हुई ( जे० ए० ओ० एस० ५८, ३६५ ) इसलिये यदि महाभारत का अंताखी पाठ शुद्ध माना जाय तो उसका काल ३०० ई० पू० के पहले पड़ना चाहिए । मौर्ययुग में सीरिया के सिल्यूकस बादशाहों से तथा भारतीय मौर्य राजाओं से काफी सद्भाव था, और उनमें अकसर दूतों का आदान-प्रदान होता था । अब प्रश्न यह है कि सहदेव द्वारा अंतियोंक को दूत भेजना किस ऐतिहासिक घटना की ओर लक्ष्य करता है ? काफी विचार करने के बाद, जिनका उल्लेख इस छोटे से लेख में नहीं हो सकता, ज्ञात होता है कि अंतियोक तृतीय (२२११८७ ई० पू० ) के समय शायद किसी भारतीय राजा के भेजे हुए प्रणिधिवर्ग का इंगन इस घटना से मिलता हो । रोम ( या ठीक लैटिन रूप रोमा ) दूसरी श० ई० में कैसे भारतीय साहित्य में आया, यह कहना कठिन नहीं है, इसलिये कि इस बात का पता है कि कोई भारतीय दूत अगस्टस के पहले, प्रथम श० ई० पू० के पहले नहीं २० , Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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