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________________ साहसांक विक्रम और चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की एकता १२३ ( ३ ) साहसांक कितने थे ? यदि साहसांक एक ही था, तो वह चंद्रगुप्त विक्रम था । यदि दो थे, तो दूसरा कौन था ? दो साहसांक माननेवालों का स्मरण रखना चाहिए कि पुरातन लेखों में साहसांक एक ही है । मुमुणीराज का शक संवत् ६७१ का एक ताम्रपत्र है । उसमें इस वंश के मूल पुरुष कपर्दी का वर्णन है। कपर्दी का पुत्र पुलशक्ति शक ७६५ अतः कपर्दी शक ७५० के समीप हुआ होगा । के अमोघवर्ष का सामंत था । · प्रस्तुत ताम्रपत्र में कपर्दी की तुलना साहसांक से की गई है तस्यान्वये निखिलभूपतिमौलिभूत रत्नद्युतिच्छुरित निर्मलपादपीठः । . श्रीसाहसाङ्क इव साहसिकः कपर्दी सीलारवंशतिलको नृपतिर्बभूव * ।। इस ताम्रपत्र के पाठ में और दूसरे लेखों में साहसांक पद एकवचन में ही मिलता है। इससे निश्चय होता है कि साहसांक नाम का मूल एक ही राजा था। उसके कई सौ वर्ष पश्चात तक कोई अन्य राजा अपना नाम भी वैसा नहीं रख सका । A ( ४ ) साहसांक विक्रम के साथी आचार्य वररुचि का काल कातंत्र व्याकरण से पहले का हैं । कातंत्र में इस वररुचि के सूत्रों का प्रयोग किया गया है । कातंत्र लगभग दूसरी शती विक्रम का ग्रंथ है। अतः दूसरी शर्ती विक्रम से पहले का साहसांक तो चंद्रगुप्त ही था । विद्वानों को आग्रह - रहित होकर इन बातों पर विचार करना चाहिए । * ई० श्राई०, भाग २५, पृ० ५८, पंक्ति ४ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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