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________________ साहसांक विक्रम और चंद्रगुप्त विक्रमादित्य की एकता ११७ देवी चंद्रगुप्त नाटक के उद्धरणों में भी मिलता है। उन उद्धरणों की ऐतिहासिक बातों का उल्लेख अन्यत्र होगा। १८-देवी चंद्रगुप्त में वर्णित मुख्य घटनाएँ ऐतिहासिक थीं। इस बात का प्रमाण चरकसंहिता-व्याख्याकार चक्रपाणिदत्त भी देता है। चक्रपाणिदत्त का काल लगभग विक्रम की बारहवीं शताब्दि का पूर्वार्द्ध है। वह लिखता है उपेत्य धीयते इति उपधिश्छन्न इत्यर्थः। तमनु"उत्तरकालं हि भ्रात्रादिवधेन फलेन ज्ञायते-यदयमुम्मत्तश्छमप्रचारी चन्द्रगुप्त इति । . -विमानस्थान ४८॥ चक्रपाणिदत्त किसी काल्पनिक घटना का वर्णन नहीं कर सकता था। चंद्रगुप्त का कृतक उन्माद एक ऐतिहासिक. घटना थी और उसी का उल्लेख चक्र ने किया। बहुत संभव है कि चक्र ने यह बात अपने से पूर्व काल के टीकाकारों से ली हो। १६-अध्यापक अल्टेकर ने मजमल-उत-तवारीख से एक उद्धरण दिया है। उनके अनुसार यह ग्रंथ ११वीं शताब्दि विक्रम में रचा गया था। इस प्रथ का आधार एक अरबी ग्रंथ था, और उस अरबी प्रथ का आधार कोई भारतीय ग्रंथ था। मजमल-उत-तवारीख में चंद्रगुप्त-विक्रम के उन्मत्त बनने और अपने भाई को मारने आदि की सारी कथा का उल्लेख है। २०-- यह कथा देवीचंद्रगुप्त नाटक, चक्रपाणिदत्त की चरक टोका, मजमल-उत-तवारीख और राष्ट्रकूटों के सजान आदि के ताम्रपत्रों में पाई जाती है। विद्वान् पाठकों को ध्यान रहे कि भरत मुनि के अनुसार नाटक की कथावस्तु का आधार ऐतिहासिक होता है। विशाखदेव ने इस * जर्नल ऑव बिहार उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी। ए हिस्ट्री ऑव दि गुसाज श्रार• एन. दांडेकर रचित, पृ० ७२, ७३ पर उद्धृत। यह फारसी पंथ तेरहवीं शती का है, ग्यारहवीं का नहीं। मूल ग्रंथ के हस्तलेख ब्रिटिश अद्भुतालय और आक्सफोर्ड में है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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