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________________ १०४ नागरीप्रचारिणी पत्रिका मध्यभारत के गणराष्ट्रों से संघर्ष होना बिलकुल स्वाभाविक था। बाहरी आक्रमण के समय गजातियों संघ बनाकर लड़ती थीं। इस संघ का नेतृत्व मालवगण ने लिया और शकों को पीछे ढकेलकर सिंध प्रांत के छोर पर कर दिया। कालकाचार्य-कथा में शकों को निमंत्रण देना, अवंति के ऊपर उनका अस्थायी आधिपत्य और अंत में विक्रमादित्य के द्वारा उनका निर्वासनइन सभी घटनाओं का मेल इतिहास की उपयुक्त धारा से बैठ जाता है। (३) शकों को पराजित करने के कारण मालवगणमुख्य का शकारि एक विरुद हो गया। यद्यपि इस घटना से शकों का आतंक सदा के लिये दूर नहीं हुआ, तथापि यह एक क्रांतिकारी घटना थी और इसके फल-स्वरूप लगभग डेढ़ सौ वर्ष तक भारतवर्ष शकों के आधिपत्य से सुरक्षित रहा। इसलिये इस विजय के उपलक्ष में संवत का प्रवर्तन हुआ और मालवगण के दृढ़ होने से इसका गण-नाम मालवगण-स्थिति या मालव-गणकाल पड़ा। (४) अब यह विचार करना है कि क्या मालवगण-मुख्य कालिदास के आश्रयदाता हो सकते हैं या नहीं ? अभिज्ञानशाकुतल की कतिपय प्राचीन प्रतियों में नांदी के अंत में लिखा मिलता है कि इस नाटक का अभिनय :. विक्रमादित्य की परिषद् में हुआ था, यथा-सूत्रधार-आर्ये इयं हि रसभाव विशेषदीक्षागुरोः विक्रमादित्यस्य अभिरूपभूयिष्ठा परिषत्, अस्यां च कालिदास. प्रथितवस्तुना नवेन अभिज्ञानशाकुंतलनामधेयेन नाटकेन उपस्थातव्यम् अस्माभिः, तत् प्रतिपात्रम् आधीयतां यत्नः। (नांद्यते-जीवानद विद्यासागर संस्करण, कलकत्ता, १९१४ ई०)। प्रायः अभी तक विक्रमादित्य एक तांत्रिक राजा ही समझे जाते रहे हैं। कितु काशी-विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पं० केशवप्रसाद मिश्र के पास सुरक्षित अभिज्ञानशाकुतल की एक हस्तलिखित प्रति (प्रतिलेखनकाल-अगहन सुदि ५ संवत् १६९९ वि०) ने विक्रमादित्य का गण से सबध व्यक्त कर दिया है। इसके निम्नांकित अवतरण ध्यान देने योग्य हैं : अ-श्रार्ये, रसभावशेषदीक्षागुरोः विक्रमादित्यस्य साहसांकस्याभिरूपभूयिष्ठेयं परिषत् । अस्यां च कालिदासप्रयुत्तोनाभिज्ञानशाकुन्तलनवेन नाटकेनोपस्थातव्यमस्माभिः । ( नान्यन्ते) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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