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विदित नहीं होता, शायद कोलाभक्षसे मतलब मुसलमानसे हो । संस्कृतमें “ कोल ” सूकरको कहते हैं और “अभक्ष" का अर्थ खानेवाला " ऐसा होता है । अतः कोलाभक्षका अर्थ सूअर न खानेवाला अर्थात् मुसलमान यह हो सकता है । यदि यह अनुमान ठीक है तो "कोलाभक्षनृप" का अर्थ आलमशाह ( हुशंग ) ही है । ये लोग हुशंगगोरीके मंत्री थे अतः उसके कैदियोंको उससे अर्ज कर छुडाया हो यह संभव भी है । ऊपर बतलाया जा चुका है कि मंडन, झंझणके दूसरे पुत्र बाहड़का छोटा लडका था । यह व्याकरण अलंकार संगीत तथा अन्य शास्त्रोंका बड़ा विद्वान् था । विद्वानों पर इसकी बहुत प्रीति थी । इसके यहाँ पंडितोंकी सभा होती थी जिसमें उत्तम कवि प्राकृतभाषा के विद्वान, न्याय वैशेषिक वेदांत सांख्य भाट्ट प्राभाकर तथा बौद्धमतके अद्वितीय विद्वान् उपस्थित होते थे । गणित भूगोल ज्योतिष वैद्यक साहित्य और संगीत शास्त्र के बड़े बड़े पंडित इसकी सभाको सुशोभित करते थे । यह विद्वानोंको बहुत सा धन वस्त्र और आभूषण बाँटा करता था । उत्तम उत्तम गायक गायिकाएँ और नर्तकियाँ इसके यहाँ आया करती थीं और इसकी संगीत शास्त्रमें अनुपम योग्यता देखकर अवाक् रह जाती थीं । उन्हें भी यह द्रव्य आदिसे संतुष्ट करता था । यह जैसा विद्वान् था वैसा हो धनी भी था। एक जगह इसने स्वयं लिखा है कि “ एक दूसरेकी सौत होनेके कारण महालक्ष्मी और सरस्वतीमें परस्पर वैर है इसलिए इस ( मंडन ) के घरमें इन दोनोंकी बड़ी जोरोंसे बदाबदी होती है अर्थात् लक्ष्मी चाहती है कि मैं सरस्वतीसे
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