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श्री रामचन्द्र जी की जिनेन्द्र भक्ति
दशांगनगर (वर्तमान मन्दसौर) के राजा वज्रकरण ने प्रतिज्ञा ले रखी थी कि सिवाय जिनेन्द्र भगवान् के किसी को मस्तक न झुकाऊँगा । यह बात उज्जैन के महाराजा सिंहोदर को अनुचित लगी कि उसके आधीन होने पर भी वज्रकर्ण उसको वन्दना नहीं करता । इसी कारण उसने वज्रकर्ण पर आक्रमण कर दिया । श्री रामचन्द्र जी को पता चला तो तुरन्त श्री लक्ष्मण जी से कहा, "वज्रकरण अणुव्रतों का धारी श्रावक है, वह जिनेन्द्रदेव, जैनमुनि और
१. रा० रा० बासुदेव गोविंद आपटे : जैन धर्म महत्व (सूरत) भा० १५० ३०
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