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________________ जिनसूत्र के सिवाय दूसरे को नमस्कार नहीं करता है । यदि जिनेन्द्र भगवान् के भक्त की सहायता न की गई तो सिंहोदर बड़ा बलवान् है वह वज्रक को हरा कर उसका राज्य छीन लेगा । इस लिये उसकी सहायता करो " श्री लक्ष्मण जी स्वयं तीर-कमान लेकर रणभूमि में पहुँचे, सिंहोदर से लड़कर वज्रक की विजय कराई' | जब श्री रामचन्द्र जी के हृदय में एक जिनेन्द्र भक्त के लिए इतनी श्रद्धा थी कि बिना उसके कहे अपने प्राणों से प्यारे श्री लक्ष्मण जी की जान जोखम में डालकर उसकी सहायता की तो पाठक स्वयं विचार कर सकते हैं कि जिनेन्द्र भगवान् के सम्बंध में उनकी कितनी अधिक भक्ति होगी ? २ जान २ की बाजी लड़ी जा रही हो, रावण श्री रामचन्द्र जी की परम प्यारी पत्नी को चुरा कर ले जाये ! और युद्ध में उनके प्यारे भ्राता को मूर्छित करदे, वही रावण श्री रामचन्द्र जी के विरुद्व प्रयोग करने के लिए मंत्र-विद्या की सिद्धि के हेतु सोलहवें जैन तीर्थंकर श्री शान्तनाथ भगवान् के मन्दिर में जाता है और अपने राज- मंत्रियों को आज्ञा देता है "जब तक मैं जिनेन्द्र भगवान् की पूजा में मग्न रहूँ मेरे राज्य में किसी प्रकार की भी जीव हत्या न की जाये। मेरे योद्धा लड़ाई तक बन्द रखें और मेरी प्रजा भी जिनेन्द्र भगवान् की पूजा करे " जासूसों द्वारा जब इस बात १. पद्मपुराण पर्व ३३ पृ० ३१८ । २३. For acquiring of magic power, Ravana issued orders that through out his territories no animal life should on no account be taken, that his worriors should for a time desist from fighting and All his subject should be diligent in performing the rites of JAINA-PUJA and then he en:ered the JINA TEMPLE. -Frof S.R. Sharma, Jainism And Karnataka Culture, P.78. [ ५१ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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