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वीर की निर्भयता
एक मस्त हाथीं भागा जंजीर तोड़कर, पैरों से जिस ने रौंद दिये सैंकड़ों वशर । काबू में जिसको कर सके न फ़ीलवान भी, वीरों के वीर ने उसे बशमें किया मगर।
-आफताब पानीपती
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