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________________ देने का यत्न किया । और इस लिये भी कि हिन्दी न जानने वाले भी इससे वंचित न रहें। दूसरे और तीसरे भाग में अंग्रेजी के फुटनोट भी इस लिये अधिक देने पड़े कि पाठकों को उनके हिन्दी अनुवाद में किसी प्रकार का भ्रम न रहे । वीरनिर्वाण से आज तक का भारतवर्ष के इतिहास पर वीर शिक्षा का प्रभाव दिखाये बिना उनकी जीवनी अधूरी रह जाती। इस लिये तीसरे भाग की आवश्यकता हुई। दिगम्बरीय या श्वेताम्वरीय दृष्टि से जैन-धर्म तथा भ० महावीर का जीवन जानने के अभिलाषी उनके धार्मिक ग्रन्थों का स्वाध्याय करें, जिन के नाम, मूल्य और मिलने के पते आदि हम से या अखिल जैन मिशन, अलीगंज (एटा) से प्राप्त हो सकते हैं, और विद्वानों को जैन-धर्म के सम्बन्ध में कोई भ्रम या सन्देह हो तो वे भी मिल कर या पत्र-व्यवहार द्वारा उनसे दूर किया जा सकता है। यह पुस्तक तो किसी धर्म की बुराई, किसी प्राणी की निन्दा या पक्ष-पात की दृष्टि से नहीं, बल्कि आपस में प्रेम बढ़ाने, एक दूसरे के विचारों को समझने, अनेक धर्मों में अहिंसा का उत्तम स्थान दिखाने, जैन धर्म के विरुद्ध फैली हुई झूठी कल्पनाओं को मेटने, जैन सिद्धान्त और इतिहास का यथार्थ रूप बताने, जैन तीर्थङ्करों, मुनियों, त्यागियों और जैनवीरों की सेवाओं का परिचय देने तथा भ० महावीर का आदर्श जीवन प्रकट करने के लिये निष्पक्ष रूप से ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर लिखी गई है, फिर भी भूल, अज्ञानता या गलतफहमी से कोई बात ऐसी लिखी गई हो कि जिस से किसी के हृदय को किसी भी प्रकार चोट पहुंचती हो तो मैं सच्चे हृदय से उनसे क्षमा चाहता हूँ और आशा करता हूँ कि उसके सम्बन्ध में प्रमाणों सहित हमें सूचित किया जावेगा, जिससे अगले संस्करण में उन पर विशेष ध्यान दिया जा सके। २८] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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