SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विशेष विवरण नाकोडा तीर्थ पर संवत् १९९१ माघ शुद १३ के दिन आचार्यदेव श्रीमद् विजयहिमाचलसूरीश्वरजी महाराज के करकमलों द्वारा प्रतिष्ठा व १२५ प्रतिमाजी की अञ्जनशलाका हुई । उस समय पंन्यासजी महाराज की मूर्ति की स्थापना की गई । वह भी आज विद्यमान है । यह प्राचीन नाकोडा तार्थ मारवाड स्टेट के अन्तर्गत बालोतरा नामक नगर के पास तीन कोश की दूरी पर आया हुआ है । मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान का त्रिशिखरी युक्त आदीश्वर भगवान का तथा शान्तिनाथ भगवान के चार देवलिये युक्त कुल तीन मंदिर विशाल एवं दर्शनीय है-विशाल गोशाला है और कारखाना तथा धर्मशाला बडी जबरदस्त है। यहाँ पर प्रत्यक्ष एवं चमत्कारिक भैरव पार्श्वनाथ के मंदिर म बिराजमान है जो कि कईएक भाइयों की मनोकामना पूर्ण की है और कर रहे है । यहां पर प्रतिवर्ष पोष कृष्णा दशमी को महान् मेला लगता है जिस में बडी दूर दूर से भी हजारों की संख्या में मानव आते हैं । यहाँ पर यात्रिगण को सब तरह की सुविधा है। एक बार भी प्रत्येक भक्त को यात्रा का लाभ उठाना चाहिये। वर्तमान समय में पंन्यासजी महाराज के शिष्यमंडल में तीन शिष्य विद्यमान है जो कि आचार्यदेव श्रीमद्विजय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035285
Book TitleTattvavetta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPukhraj Sharma
PublisherHit Satka Gyanmandir
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy