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________________ उसने एक कपड़ा डालदिया। जिस समय वह कपड़ा ओसके जलसे भीगगया तब उस भीगे कपड़ेको निचोड़कर उस जलसे घड़ाको अच्छी तरह भरकर वह अपने घरले आया और ओसके जलसे भरे हुवे उसघड़ेको महाराज उपश्रेणिकके सामने रख दिया। महाराजने जिससमय कुमार श्रेणिक द्वारा लाये ओसके जलसे भरे हुवे घड़ेको देखा तो श्रेणिकको अत्यंत बुद्धिमान समझकर चिंतासे व्याकुल होगये और मनमें विचार करने लगे कि अवश्य यह श्रेणिकही राज्यका भोगने वाला होगा, किंतु मैंने जो यह वचन देदिया है कि राज्य चलाती कुमारको ही दिया जायगा, न जाने इस वचनकी क्या गति होगी ! ____ इसप्रकार कुमार उपश्रेणिकको दोनो परीक्षा में उत्तीर्ण देखकर पुनः राज्यकार्यकी परीक्षाके लिये महाराज उपश्रेणिकने श्रेणिक आदि समस्तपुत्रोंको भाजनके लिये अपने घरमें बुलाया । जिससमय समस्तकुमार एकसाथ भोजन करनेलिये बैठिगये तब बड़े आदरके साथ उनके सामने सुवर्णों के बड़े बड़े थाल रखदिये गये और उन थालमे उनके लिये खाजे घेवर मोदक खीर मोटामाड़ घी मूंगका मिष्ट स्वादिष्ट चूरा उत्तम दही और अनेकप्रकारके पके हुवे अन्न तथा मीठाभात और भी अनेक प्रकारके भोजन तथा पूवा मिगोड़े आदिक अनेक मनोहर मिष्टान्न परोसे गये । जिससमय क्षुधासे पीड़ित तथा स्वादके लोलुप सब कुमार भोजन करने लगे और भोजनके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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