SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ marrrrrrrrammaan ( ३९ ) दूसेर निमित्तकी परीक्षाकरनेके लिये अपने पुत्रोंको बुलाया | और कहा हे पुत्रों, तुम सब आज फिर मेरी बातको सुनो सब लोग एक २ नवीन घड़ा लो और उसको अपनी चतुरतासे ओसके जलसे मुहतक. भरकर लाओ। महाराजका वचन सुनते ही वे समस्त राजकुमार सवेरा होते ही बड़े उत्साहके साथ ओसके जलसे घड़ोंको भरने के लिये अनेक प्रकारके तृणयुक्त जगहोंपर गये और वहांपर ओसके जल से भीगे तृणों को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो बड़े प्रयत्नसे तृणोंके जलको ग्रहणकरनेके लिये अलग अलग वैठिगये ।। जिससमय वे उस ओसके पानीको नवीन घड़ामें भरते थे घड़ेके । मीतर जाते ही क्षणभरमें वह ओस का पानी सूख जाता था। इस तरह ओसके जलसे घड़ा भरनेके लिये उन्होंने यथाशक्ति वहुत परिश्रम किया और भांति भांति के प्रयत्न किये किंतु उनमेंसे एकभी कुमार घड़ाको न भरसका किंतु एकदम घवड़ाकर सव के सब कुमार अपने २ स्थानोंमे चुपचाप वैठिगये ॥ बहुतकाल वैठनेपर जब उन्होंने यह बात निश्चय समझिली कि घड़ा नहीं भरे जा सकते तव चलाती आदि सब राजकुमार महाराज की इसपरीक्षामें अनुत्तीर्ण हो लज्जाके मारे मुखनीचे किये हुवे अपने अपने घरोंको चलेगये । परंतु अत्यंत बुद्धिमान कुमार श्रेणिक महाराजको आज्ञा पालन करनेके लिये जिस प्रदेशमें ओसके जलसे भीगे हुवे बहुत तृण थे गया औ उन तृणोंपर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy