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________________ mm N ( २८२ ) है। किसीसमय कुवेरपुरीके तुल्य उस चंपापुरी में एक देवदत्ता नामकी वेश्या रहती थी । देवदत्ता आतिशय सुन्दरी थी यदि उसके लिए देवांगना कह दिया जाता तो भी उसके लिये कम था । उसके पास एक पालतू तोता था वह उसे अपने प्राणोंसे भी प्यारा समझती थी। कदाचित् रविवारके दिन तोतेकेलिए प्याले में शराब रखकर वह तो किसी कार्य वश भीतर चली गई और इतने ही में एक लड़की वहां आई उसने उस शराबमें विष डाल दिया और शीघू वहांसे चंपत हो गई । देवदत्ताको इस बातका पता न लगा वह अपने सीधे स्वभावसे बाहिर आई और तोताको शराब पिलाने लगी। किन्तु तोता वह सब दृश्य देख रहा था इसलिये अनेक बार प्रयत्न करने पर भी उसने शराबमें चोंच तक न बोरी वह चुप चाप बैठा रहा । देवदत्ता जबरन उसे शराब पिलाने लगी तोभी उसने न पिया देवदत्ता जब और जबरन पिलाने लगी तो वह चिल्लाने लगा इसलिये देवदत्ताको क्रोध आगया और उसने उसे तत्काल मार कर फेंक दिया । अब हे जिनदत्त ? तुम्हीं कहो देवदत्ताका वह अविचारित काम क्या योग्य था ? जिनदलने उत्तर दिया। ___नाथ ! यदि देवदत्ताने ऐसा काम किया तो परम मूर्खा | समझनी चाहिए । मैं अब आपको तीसरी कथा सुनाता हूं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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