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________________ ( २३७ ) ariat आकर एवं अपनी शरीरकांतिसे अंधकार को नाशकर ने - वाली थी । और उसका नाम बसुकांता था । उसीसमय कौशांबी पुरी में एक चंडप्रद्योतन नामका प्रसिद्धराजा राज्य करता था । चंडप्रद्योतन अतिशय तेजस्वी वीर एवं विशालसेनाका स्वामी था । कदाचित् कुमारी वसुकांताने यौवन अवस्था में पदार्पण किया, राजा चंडप्रद्योतनको इसके युवती पने का पता लगगया । कमारीके गुणोंपर मुग्ध हो राजा चंडप्रद्योतनने शीघ्र ही राजा सुपालसे उस पुत्रीकेलिये प्रार्थना की । और उनके साथ बहुत कुछ प्रेम दिखाया। किंतु राजा चंडप्रद्येोतन जैन न था । इसलिये राजा वासुपालने उसकी प्रार्थना न सुनी और पुत्री - के लिये साफ इन्कार करदी | राजा चंडप्रद्योतनने यहबात सुनी । उसने शीघ्र ही सेना सजाकर भूमितिलक की ओर प्रस्थान करदिया । कुछ दिन बाद मंजल दरमजल करता करता राजा चंडप्रद्योतन भूमितिलक पुरमें आ पहुंचा । आते ही उसने अपनी सेनासे समस्तनगर घेरलिया और लडाईकेलिये तयार हो गया - राजा बसुपालको इसबातका पता लगा उसने भी अपनी सेना सजवाली। तत्काल वह चंडप्रद्योतनसे लडनेके लिये निकल पडा-और दोनों दलकी सेनामें भयंकर युद्ध होनेलगा - मेघनाद मेघशब्दसे जैसे मयूर उधर उधर नाचते फिरते हैं मेघनाद ( बिगुल ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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