SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 239
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २१८ ) सूर्यपुरका खामी जो नीतिपूर्वक प्रजापालक एवं शत्रुओं को भयावह था राजा मित्र था। राजा मित्रकी पटरानी श्रीमती थी। श्रीमती वास्तवमें अतिशय शोभायुक्त होनेसे श्रीमती ही थी। महाराज मित्रके श्रीमती रानीसे उत्पन्न कुमार सुमित्र था। सुभित्र नीतिशास्त्रका भलेप्रकार वेत्ता, विवेकी,सच्चरित्र और विशाल किंतु मनोहर नेत्रोंसे शोभित था। राजा मित्र के मंत्रीका नाम मतिसागर था । जोकि नीतिमार्गानुसार राज्य की सभाल रखता था । मंत्री मतिसागरके मनोहररूपकी खानि, रूपिणी नामकी भार्या थी। और रूपिणीसे उत्पन्न पुत्र सुषण था । सुषेण माता पिताको सदा सुख देता था। और प्रत्येककार्य को विचारपूर्वक करता था। राजा मित्रका पुत्र सुमित्र और सुषेण दोनों समवयस्क थे । इसलिये वे दोनों आपसमें खेलाकरते थे। सुमित्रको अभिमान अधिक था। वह अभिमानमें आकर सुषेणको बड़ा कष्ट देता था। अनेक प्रकारकी अवज्ञा भी किया करता था। एकदिन सुभित्र और सुषेण किसी बावड़ीपर स्नानार्थ गये। वे दोनों कमलपत्रसे मुंह ढांक बार बार जलमें डुबकी मारने लगे सुमित्र बड़ा कौतूहली था। सुषणको वार बार डुबाता था। और खूब हंसी करता था। सुमित्रके इसवर्तावसे यद्यपि सुषेणको दुःख होता था किंतु राजा भित्रके भयसे वह कुछ नहीं कहता था । उदासनिभावसं उसके सर्व अनर्थ सहता था। - - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy